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सिंधी संस्कृति में दीपावली का महत्व’’ विषय पर सम्पन्न हुयी संगोष्ठी

उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी द्वारा दिनांक 29 अक्टूबर, 2024 को सिंधी संस्कृति में दीपावली का महत्व विषय पर संगोष्ठी का आयोजन इन्दिरा भवन, लखनऊ में किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम भगवान झूलेलाल की प्रतिमा पर माल्यार्पण अकादमी निदेशक श्री अभिषेक कुमार ’अखिल’, श्री प्रकाश गोधवानी, श्री हरीश वाधवानी, श्री दिनेश मूलवानी, नीता कलवानी, तथा अनूप केसवानी कर कार्यक्रम का प्रारम्भ किया गया।
इस संगोष्ठी में सिंधी समाज के विद्वानों ने अपने विचार रखें। श्री प्रकाश गोधवानी जी ने बताया कि दीपावली में सिंधी संस्कृति का विशेष महत्व है। सिंधी पाँच दिनो तक दीपावली परम्परागत रूप से मनाते हैं। दीपावली में हटड़ी रख कर पूजा करते हैं, जो कि दूकान का प्रतीक होती है। दीपावली अन्धकार से प्रकाश की ओर जाने को अग्रसर करती है-
दियो तुहिंजो हुजे या मुहिंजो हुजे,
रौशनी त बिनिन में सागी आहे।
श्री अनूप केसवानी जी ने दीपावली पर लक्ष्मी व गणेश की पूजा क्यों की जाती है इस पर प्रकाश डाला। श्री हरीश वाधवानी जी ने दीपावली पर्व को भारतीय संस्कृति से जोड़ते हुए दीपावली का महत्व बताया। श्रीमती नीता कलवानी ने कहा की यह त्योहार हम सबको धूमधाम से मनाना चाहिए। यह त्योहार रोशनी व उल्हास का त्योहार है।  
उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी के निदेशक श्री अभिषेक कुमार अखिल जी ने कहा कि ये विषय आज की परिस्थितियों में अत्यन्त सामायिक है और सिंधी समाज हर तीज त्योहार अपनी संस्कृति के अनुसार मनाता है। आज इसे संरक्षित करने की जरूरत है ताकि नयी पीढ़ी भी उसी परम्परा के अनुसार यह त्योहार मनाये। आज की संगोष्ठी में कनिका गुरूनानी, शान्ता वाधवानी, दिनेश मूलवानी, अरविन्द नारायण मिश्र व अन्य गणमान्य हस्तियॉ उपस्थित रहीं।

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