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RBI ने विदेशी निवेशकों के लिए बॉन्ड निवेश की सीमा यथावत रखी

नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि वह विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) के लिए सरकारी, राज्य और कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश की वर्तमान सीमा को यथावत बनाए रखेगा

इस निर्णय के तहत विदेशी निवेशकों को:

  • केंद्र सरकार के बॉन्ड में 6% तक निवेश की अनुमति है
  • राज्य सरकार के बॉन्ड में 2% तक
  • और कॉर्पोरेट बॉन्ड में 15% तक निवेश की सीमा बनी रहेगी

कोई नई वृद्धि नहीं, स्थिरता की ओर संकेत

RBI के इस कदम को वित्तीय बाज़ारों में स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक संकेत माना जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि बॉन्ड मार्केट में पहले से मौजूद अस्थिरता और वैश्विक ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए RBI ने यह निर्णय लिया है।


वैश्विक निवेशकों के लिए संतुलन का प्रयास

FPIs भारत के बॉन्ड बाजार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन डॉलर की मजबूती, अमेरिका की मौद्रिक नीति और भू-राजनीतिक तनावों की वजह से हाल के महीनों में विदेशी निवेश में अस्थिरता देखी गई है।

RBI के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि नियामक निकाय कोई बड़ा जोखिम उठाने के बजाय मौजूदा स्थिति को स्थिर बनाए रखना चाहता है।


विशेषज्ञों की राय

IDFC फर्स्ट बैंक के वरिष्ठ विश्लेषक अनुज गुप्ता के अनुसार,

“अभी बॉन्ड यील्ड स्थिर नहीं है और वैश्विक निवेशक सतर्क हैं। RBI का यह फैसला विदेशी निवेश को संतुलित बनाए रखने का संकेत देता है, जिससे देश की मौद्रिक नीति पर प्रतिकूल असर न पड़े।”


क्या है इसका असर?

  • भारतीय बाजारों में विदेशी निवेशकों की भागीदारी संतुलित बनी रहेगी।
  • सरकार को ऋण जुटाने में सुविधा बनी रहेगी, लेकिन अतिरिक्त निवेश के लिए अन्य विकल्पों की आवश्यकता होगी।
  • कॉर्पोरेट सेक्टर में बॉन्ड के ज़रिए पूंजी जुटाने की प्रक्रिया पर सीमित असर पड़ सकता है।

निष्कर्ष

RBI का यह कदम बाजार को स्थिरता देने वाला है, हालांकि कुछ विशेषज्ञ यह उम्मीद कर रहे थे कि विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए सीमाओं में थोड़ी ढील दी जाएगी। फिलहाल, मौजूदा वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए, RBI का यह रुख संतुलित और सतर्क रणनीति का परिचायक है।

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