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भारतीय टीम से निकाले गए पृथ्वी शॉ को इस महान खिलाड़ी से मिली सलाह, और ठोक दिए 754 रन

IPL के 13वें सीजन के बाद ऑस्ट्रेलिया में भी खराब फॉर्म से जूझने के बाद पृथ्वी शॉ ने विजय हजारे ट्रॉफी में दमदार प्रदर्शन किया है। 188.5 की औसत से उन्होंने टूर्नामेंट में अब तक 754 रन बनाए हैं। मुंबई के इस खिलाड़ी ने सेमीफाइनल तक चार शतक ठोक दिए हैं। ऐसे में आश्चर्य की बात नहीं होगी कि वे फाइनल में भी उत्तर प्रदेश के खिलाफ शतक ठोकें, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में खराब प्रदर्शन के बाद उनके लिए वापसी करना कठिन था। अब उन्होंने खुलासा किया है कि किस तरह से महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने उनकी मदद की।

एक इंटरव्यू में पृथ्वी शॉ ने अपने खराब दौर के बारे में बताते हुए कहा है कि उन्हें हर कोई आउट कर रहा था, लेकिन उनको खुद के ऊपर भरोसा था। उन्होंने कहा है, “रवि (शास्त्री) सर और विक्रम (राठौर) सर ने मुझे अहसास कराया कि मैं कहां गलती कर रहा था। मुझे कोई समाधान ढूंढना था। बस नेट पर वापस जाना था और इसे ठीक करना था। छोटी-छोटी गलतियां थीं, जो मैं कर रहा था। उन दो पारियों (एडिलेड, पिंक-बॉल टेस्ट) ने मुझे खराब दिखाया। मेरी बैक लिफ्ट वही थी, लेकिन मेरा बल्ला मेरे शरीर से थोड़ा नीचे आ रहा था। प्रारंभिक मूवमेंट भी एक मुद्दा था। मैं एक निश्चित स्थिति में था। मुझे अपने बल्ले को अपने शरीर के करीब रखने की जरूरत थी, जो मैं नहीं कर रहा था।”

पृथ्वी शॉ ने विजय हजारे ट्रॉफी के फाइनल मैच से पहले एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा, “जब मैं पहले टेस्ट के बाद बाहर हो गया था तो मैं पूरी तरह से तनाव में था। मुझे ऐसा अहसास हुआ जैसे मैं बेकार था, हालांकि मैं खुश था कि टीम अच्छा कर रही थी। मैंने खुद से कहा ‘मुझे अब मेहनत करनी चाहिए’। एक कहावत है, ‘कड़ी मेहनत ही प्रतिभा को हरा देती है’। मैंने खुद से कहा कि यह प्रतिभा ठीक है, लेकिन अगर मैं कड़ी मेहनत नहीं करता तो इसका कोई फायदा नहीं है। यह मेरे जीवन का सबसे दुखद दिन था (जब वह ड्रॉप किए गए)। मैं अपने कमरे में गया और टूट गया। मुझे लगा जैसे कुछ गलत हो रहा है। मुझे जल्दी से जवाब चाहिए था।”

शॉ ने बताया कि कैसे सचिन तेंदुलकर के कुछ ही शब्दों ने उनकी मदद की। पृथ्वी शॉ ने बताया,”मैंने किसी से भी बात नहीं की। मेरे पास कॉल आ रहे थे, लेकिन मैं उस समय उस हालत में नहीं था कि किसी को जवाब दूं। मेरा दिमाग गड़बड़ हो गया था। मेरा बल्ला गली क्षेत्र से नीचे आ रहा था, लेकिन मैंने अपने पूरे जीवन में कैसे रन बनाए हैं। समस्या यह थी कि मैं किस तरह से आउट हो रहा था और मुझे इसे तुरंत ठीक करना था। मैं वापस आने के बाद सचिन सर (तेंदुलकर) से मिला, उन्होंने कहा कि बहुत सारे बदलाव नहीं कर सकते हो और सिर्फ शरीर के करीब खेल सकते हो। मैं गेंद पर देरी से आ रहा था। इसलिए पूरे ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान, मैंने उस हिस्से पर काम किया। शायद ऐसा इसलिए था, क्योंकि मैं दुबई (आईपीएल) में खेलने के बाद ऑस्ट्रेलिया गया था। “

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