Uttar Pradesh

चंद्र ग्रहण से पहले गूंजेगी शरद उत्सव की झंकार, गिरिराजजी 27 को चखेंगे खीर, मुरली के साथ दर्शन: मथुरा।

Mathura News : महाप्रभु बल्लभाचार्य जी के मतानुसार दिव्य स्थलों से सजी ब्रज वसुंधरा का हिस्सा पारसौली सारस्वत कल्प की वही पवित्र भूमि है जहां प्रभु ने गोपियों के साथ छह महीने की रात्रि का निर्माण कर महारास किया। यह लीला 27 अक्टूबर को सूर श्याम गोशाला पर आयोजित होगी। गोवर्धन में गिरिराजजी भक्तों को बांसुरी धारण कर दर्शन देंगे।

गोवर्धन/मथुरा। शरद पूर्णिमा के चंद्र पर ग्रहण तो लगेगा परंतु वांसुरी की धुन पर महारास फिर एक बार कान्हा की द्वापर युगीन लीला को जीवंत करेगा। शरद पूर्णिमा से एक दिन पूर्व यानी 27 अक्तूबर को आसमान से बिखरती धवल चांदनी में गोपियां अपने कान्हा के साथ महारास में नृत्य करेंगी।

महारास स्थली पर बनी सूर श्याम गोशाला के प्रांगण में रासाचार्य स्वामी कुंज बिहारी के संगीत पर भगवान रास बिहारी महारास की कल्पना को साकार करते नजर आएंगे। अद्वितीय सौंदर्य से सजी दिव्य धरा पर द्वापरयुगीन लीला जीवंत नजर आएगी।

ब्रज गोपियों से प्रेम का स्वर्णिम इतिहास है महारास

महारास के स्वर्णिम पलों के बिना राधा कृष्ण की लीलाएं रसहीन तो राधाकृष्ण के प्रेम का यशोगान अधूरा ही रह जाएगा। महारास में अनेक गोपियों को एक साथ सामीप्य और स्पर्श का अहसास कराते कान्हा की ये दिव्य प्रेम बरसाती लीला ब्रज मंडल के इतिहास में अमिट छाप छोड़ती रही है।

Related Articles

Back to top button