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कैप्सूलपेस मेकर से कंट्रोल रहेगी हृदय गति, बढ़ेगी जिंदगी लखनऊ

कैप्सूलपेस मेकर से कंट्रोल रहेगी हृदय गति, बढ़ेगी जिंदगी लखनऊ। लखनऊ के टेंडर पाम सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में एक अत्याधुनिक पेसमेकर लगाया गया, जो लखनऊ का पहला और देश का 15वां केस है।अब मरीजों को पेसमेकर लगवाने के लिए किसी तार या बैटरी लगाने की जरूरत नही ंपड़ेगी, क्योंकि यह नया पेसमेकर एक कैप्सूल की तरह है। इस कैप्सूल की लाइफ 23 साल तक होती है। यानी 23 साल तक केवल कैप्सूल पेसमेकर आपकी हृदय गति को कंट्रोल कर सकेगा और इसके बाद डॉक्टर इसे निकाल कर दूसरा कैप्सूल पेसमेकर लगा सकेंगे। इसे लीड लेसपेसमेकर कहते हैं।यह नया लीडलेसपेसमेकर मरीजों के लिए वरदान साबित हो रह है। इसे । टम्प्त् कहते हैं।इसको लगाने से पेसमेकर इन्फेक्शन, तार हिलने (लीड डिस्लॉजमेंट) का खतरा पूरी तरह से खत्म हो जाता है।इसके पहले भी टेंडर पाम सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल में फर्स्ट जेनरेशन माइक्रा डिवाइस लगाई जा चुकी है।माइक्रा का सफलता स्तर यह रहा कि उत्तर प्रदेश में इसे सबस ेज्यादा टेंडर पाम हॉस्पिटल में हीलगाया गया। इस बारे में कार्डिएक साइंसेज डिपार्टमेंट के निदेशक एवं प्रमुख डॉ. गौतम स्वरूप ने बताया कि हमारे पास आई 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला मरीज इसी समस्या से ग्रसित थी।उन्हें पेस मेकर लगवाने की सलाह दी गयी थी।लेकिन उन्ह ेंन्यूरोलॉजी से जुड़ी समस्या भी थी, जिसमें सामान्य पेसमेकरलगाने से तार हिलने का खतरा रहता है।इसी वजह से उन्हें अत्याधुनिक पेसमेकर लगाया गया। इस केस को सफल बनाने वाली कार्डिएक साइंसेजडिपार्टमेंट की टीम में डॉ आदेश कुमार सिंह, डॉ मोहित मोहन सिंह और डॉ कृष्ण कुमार सहानी भी शामिल थे।

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