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कलात्मक प्रस्तुति हमारे बुजुर्गों के संघर्षों को रेखांकित करने में सक्षम: पांडेय राजीवनयन

ललित कला विभाग, डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय द्वारा आज विभाग की कलावीथिका एवं स्कल्पचर कोर्ट में आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत मेरी माटी मेरा देश थीम पर चित्रकला, मूर्तिकला एवं इंस्टॉलेशन का वृहद आयोजन किया गया। प्रदर्शनी में चार इंस्टॉलेशन और 26 चित्र उपरोक्त थीम पर प्रदर्शित किए गए थे।

इंस्टॉलेशन नंबर 1
स्वतंत्रता संग्राम और नारी शक्ति
यह इंस्टॉलेशन चित्रकला पर स्नातक पाठ्यक्रम के अनुराग गौतम अवनीश भारती सुमित कुमार कश्यप शरद दिवाकर द्वारा संकल्पित एवं प्रदर्शित किया गया था। स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात हमने न केवल अपने मौलिक अधिकारों को पाया बल्कि एक नवीन और लोकतांत्रिक गणराज्य की नींव भी रखी, प्रत्येक वर्ष हम आजादी के महापर्व को मनाते है और स्वतंत्रता संग्राम के नायकों का स्मरण करते है, किंतु आज जब हम इतिहास के वे पन्ने खोलते हैं जिन्हे क्रांतिकारियों ने अपने रक्त से लिखा था, तो उस सदी के रक्त सागर के मध्य स्वयं को महसूस करते हैं, यह इंस्टालेशन प्रत्येक भारतवासी के त्याग व बलिदान को प्रदर्शित व प्रतिनिधित्व करता है। संस्थापन में दिखाता है कि अंग्रेजो के विरुद्ध हुए आंदोलनों में, सभी ने भूख-प्यास को नकारते हुए निरंतर लड़ते रहे, फिर वह किसी भी वर्ग, धर्म, जाति के रहे हो, हजारों लोग बेघर हो गए, बच्चों से उनका बचपन छिन गया, किसी मां ने अपने बेटे का शीश देश को उपहार स्वरूप दे दिया तो कही पत्नी ने किसी वीरांगना की भांति स्वतः चूड़ियां तोड़ दीं, अनगिनत परिवार बिखर गए, महिलाओं के साथ हुए शारीरिक व मानसिक अत्याचारों के बावजूद संग्राम में महिलाओं की भागीदारी न केवल उनके अदम्य साहस का प्रतीक है बल्कि सदियों तक नारी जाति के लिए प्रेरणा का श्रोत बनी रहेगी यही इस इंस्टालेशन का उद्देश्य है।

इंस्टॉलेशन नंबर 2
शूरता
बैचलर ऑफ़ विजुअल आर्ट तृतीय वर्ष के स्कल्पचर पाठ्यक्रम के हिमांशु गुप्ता एवं चित्रकला पाठ्यक्रम के हिमांशु गुप्ता ने संयुक्त रूप से यह इंस्टॉलेशन बनाया था जिसमें क्रांतिकारियों का जीवनचक्र प्रदर्शित किया गया था। इस इंस्टॉलेशन में जन्म, बचपन, किशोरवय और युवावस्था जबकि अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने को न्योछावर कर देना था, कलाकृतियों में घर के दरवाजे से लेकर फांसी के फंदे तक का प्रदर्शन बड़ी ही दक्षता से किया गया था।

इंस्टॉलेशन नंबर 3
जलियांवाला बाग
जलियांवाला बाग संस्थापन मूर्तिकला स्नातक पाठ्यक्रम के तेज प्रताप और शमशेर द्वारा सृजित किया गया था। इस संस्थापन में क्रांतिकारियों की लाशों से पटा हुआ कुआं, उनके बिखरे हुए सामान, कपड़े, पगड़ी, जूता इत्यादि भौतिक रूप से यथार्थता के साथ प्रदर्शित किया गया था जिसका प्रदर्शन उस क्षण और घटना को महसूस करने के लिए प्रेरित करने में सक्षम था।

इंस्टॉलेशन नंबर 4
ग्रेट नेशन
मूर्तिकला स्नातक पाठ्यक्रम के तेज प्रताप और शमशेर द्वारा बनाया गया दूसरे संस्थापक ग्रेट नेशन में भारतीय संविधान को सर्वाेच्च स्थान पर रखते हुए संविधान निर्माता और भारतीय तंत्र के सारे पहलुओं को समुचित ढंग से कलात्मकतापूर्वक प्रस्तुत किया गया था।
इस अवसर पर ललित कला विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर पांडेय राजीवनयन प्रदर्शनी संयोजक अवधेश मिश्र एवं डॉ सुनीता शर्मा, अधिष्ठाता कला एवम संगीत संकाय प्रोफेसर वी के सिंह, आचार्य हिंदी विभाग प्रोफेसर यशवंत वीरोदय, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉक्टर आशुतोष पांडेय के साथ विभाग के समस्त अतिथि व्याख्याता, शोध छात्र एवं विश्वविद्यालय के विद्यार्थीगण उपस्थित थे।

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