15 अगस्त 2020: जाने कब मिली थी भारत को आजादी, क्या है स्वतंत्रता दिवस का इतिहास
15 अगस्त 2020 को भारत अपनी आजादी का 74 वा जश्न मनाएगा। यह दिन उन शहीदों को याद करने का दिन है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमारे देश को वर्षो की गुलामी के बाद आजाद कराया।
15 अगस्त का दिन पूरे भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत को लगभग 200 सालों के ब्रिटिश शासन के बाद आजादी मिली थी। 14-15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने भाषण Tryst with Destiny के साथ भारत में ब्रिटिश शासन से आजादी की घोषणा की थी, और साथ ही 15 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया। इस वर्ष हम अपना 74 वा स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। पूरी दुनिया में कोरोनावायरस महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है, जिसकी वजह से देश पर आर्थिक संकट भी है। इसलिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्र स्वतंत्रता दिवस 2020 की थीम “आत्मनिर्भर भारत स्वतंत्र भारत” रखी है। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी का भाषण ऑनलाइन प्रसारित होगा।
पीएम मोदी दिल्ली में लाल किले पर केवल झंडा फहराने के लिए जाएंगे। आज 14 अगस्त की रात में भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद देश को संबोधित करेंगे।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत को पूर्ण रूप से आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी। अंग्रेजों ने भारत पर लगभग 200 साल तक शासन किया जिसके बाद बहुत ही संघर्ष और बलिदान के बाद हमें आजादी नसीब हुई। भारत को मिली आजादी बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन के लिए सैकड़ों वीरो और वीरांगनाओं ने अपने प्राणों की कुर्बानी दी और काफी संघर्ष किया। महात्मा गांधी, भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, सुखदेव, गोपाल कृष्ण गोखले, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, चंद्रशेखर आजाद आदि अनेक शहीदों के बलिदान के कारण ही आज हम आजाद भारत में सांस ले पा रहे हैं।
15 अगस्त 1947 पर पहली बार देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराया था, और वहां भाषण दिया। उस दिन से लगातार हर साल इस दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराते हैं और भाषण देते हैं।
स्वतंत्रता दिवस का इतिहास
अंग्रेजों के भारत पर कब्जे के बाद हम अपने ही देश में गुलाम बनकर रह गए थे। सब कुछ हमारा था लेकिन फिर भी हमारा अधिकार नहीं था। वह मनमाना कर वसूलते और जो मन उसकी खेती करवाते हैं। हम जब भी उनका विरोध करते हैं हमें उससे भी बड़ा जवाब मिलता, जैसे कि जलियांवाला बाग हत्याकांड। प्रताड़ना की कहानियों की कमी नहीं है और ना ही कमी है हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के साहसपूर्ण आंदोलनों की। उनके अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि आज हमारे लिए यह सब इतिहास रह गया है। अंग्रेजों ने हमें बुरी तरह लूटा। आज इसका एक उदाहरण कोहिनूर भी है जो आज उनकी रानी के ताज की शोभा बढ़ा रहा है। लेकिन हमारे संस्कृति की धरोहर आज भी सबसे कुलीन है। यही वजह है कि आज भी हमारे देश में अतिथियों को देवताओं की तरह पूजते हैं।
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