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आज काल भैरव जयंती 2024,पढ़ें पूजन विधि

कालभैरव जयंती हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पूरी तरह से भगवान कालभैरव की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें भगवान शिव का उग्र स्वरूप माना जाता है। इस शुभ दिन पर लोग उपवास रखते हैं और विभिन्न पूजा अनुष्ठान का पालन करते हैं। हर साल काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल काल भैरव जयंती 23 नवंबर 2024 यानी आज मनाई जा रही है। ऐसा कहा जाता कि इस दिन सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा करके जीवन के सभी कष्टों को आसानी से दूर किया जा सकता है।

अगर आप चाहते हैं, कि आपकी पूजा में किसी भी प्रकार का विघ्न न पड़े, तो आपको इस दिन की पूजा की सही विधि जान लेना चाहिए, जो इस प्रकार है।

काल भैरव जी भोग

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भैरव बाबा को हलवा, दूध, काला चना, मीठी रोटी और मदिरा का भोग लगाना शुभ माना जाता है।

काल भैरव जी प्रिय पुष्प

भैरव बाबा को चमेली के फूल अति प्रिय हैं।

काल भैरव जयंती तिथि और समय

वैदिक पंचांग (Panchang) के अनुसार, काल भैरव जयंती हर साल मार्गशीर्ष या अगहन महीने (Aghan 2024) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 नवंबर 2024 को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर हो चुकी है। वहीं, इस तिथि का समापन 23 नवंबर को रात के 7 बजकर 56 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए काल भैरव जयंती इस साल 23 नवंबर यानी आज के दिन मनाई जा रही है।

भगवान काल भैरव की पूजा विधि

इस दिन सुबह सबसे पहले स्नान करें। भगवान शिव (Lord Shiva) के उग्र अवतार यानी भैरव बाबा का मन ही मन ध्यान करें। भगवान सूर्य देव को जल चढ़ाएं। पूजा कक्ष को साफ करें। व्रत का संकल्प लें। भगवान काल भैरव की एक प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें चंदन का तिलक लगाएं। फूल-माला अर्पित करें। मीठी रोटी और हलवे का भोग लगाएं। कालभैरव अष्टकम और मंत्रों का पाठ करें। काल भैरव जी की कथा का पाठ अवश्य करें। आरती से पूजा को पूरी करें। अंत में शंखनाद करें। भगवान कालभैरव का आशीर्वाद लें। शाम के समय भी विधिवत काल भैरव जी की पूजा करें।

मंदिर जाएं और चौमुखी दीपक जलाएं। जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं और क्षमता अनुसार धन का दान करें। तामसिक चीजों से परहेज करें। कुत्तों को मीठी रोटी खिलाएं। ऐसा करने से भैरव बाबा की कृपा प्राप्त होगी।

भगवान काल भैरव के मंत्र

ॐ काल भैरवाय नमः।।

ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।

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