भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में 3.31 करोड़ का घोटाला उजागर

लखनऊ, 2025 — स्वतंत्रता के संगीत की परंपरा का गढ़, भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय (पूर्व में भातखंडे संगीत संस्थान), अब एक संजीदा घोटाले की वजह से सुर्ख़ियों में है। इंडिया टुडे की यूट्यूब रिपोर्ट ने इस संस्थान में उभरी वित्तीय अनियमितताओं की जांच की झलक प्रदान की, जबकि CID की विस्तृत पड़ताल ने ₹3.31 करोड़ के कथित दुरुपयोग का पर्दाफाश किया।
- प्राथमिक शिकायत 5 मार्च, 2021 को राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के निर्देश पर दर्ज कराई गई थी। पिछली जांच BOW (Bureau of Vigilance) ने की थी, लेकिन बाद में 18 जनवरी, 2024 को मामला CID को सौंपा गया।
- CID की जांच ने खुलासा किया कि लगभग ₹3.31 करोड़ विश्वविद्यालय के फंड का दुरुपयोग निजी फर्मों और कर्मचारियों की मिलीभगत से किया गया। ये भुगतान फर्जी ठेके, बिना टेंडर के काम, अधूरे निर्माण, और नकली बिलों के जरिए किया गया था।
- आरोपपत्र में प्रो. श्रुति सडोलिकर काटकर, जो उस समय कुलपति थीं, के नाम भी शामिल हैं — उन पर वित्तीय नियमों की धाराओं का उल्लंघन का आरोप है।
- 7 आरोपियों को CID ने गिरफ्तार किया, जिनमें दो विभागाध्यक्ष— ज्ञानेंद्र दत्त वाजपेयी (नृत्य विभाग के HOD) और मनोज कुमार मिश्रा (तालवाद्य विभाग के HOD)—शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, पांच निजी फर्म संचालक भी हिरासत में आए। सभी को कोर्ट में पेश कर जेल भेजा गया।
- इंद्र भ्रष्ट आचरण का कथित सरगना राम कुमार, एक प्रशासनिक अधिकारी, अभी भी फरार है। CID इस मामले में और गिरफ्तारी की संभावना जता रही है।
- CID ने संदिग्ध फर्मों के नामों को भी सार्वजनिक किया, जैसे: अंजली ट्रेडर्स, पुण्य एंटरप्राइजेज, ऊषा एसोसिएट्स, इंडियन फायर सर्विस एंटरप्राइजेज, साईं कृपा ट्रेडिंग, एक्यूरेट इंजीनियरिंग, अपेक्स कूलिंग, शर्मा रेफ्रिजरेशन, विशाल बिल्डर, HA ट्रेडर्स, वर्मा इलेक्ट्रॉनिक्स, और BR इंटरप्राइजेज।

इंडिया टुडे की यूट्यूब रिपोर्ट ने इस घोटाले को उजागर करने वाले प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला—अनियमितता, विभागाध्यक्षों की गिरफ्तारी, CID की तलाशी और कार्रवाई, तथा विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को लगे घाव। यह रिपोर्ट दृश्यमान रूप से यह दर्शाती है कि कैसे पारदर्शिता के अभाव में प्रमुख संस्थान भ्रष्टाचार की चपेट में आ सकते हैं।
तिथि / घटना | विवरण |
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5 मार्च 2021 | राज्यपाल के निर्देश पर कैसरबाग थाने में FIR दर्ज |
18 जनवरी 2024 | CID को जांच सौंपना |
जून 2025 | CID ने ₹3.31 करोड़ का भ्रष्टाचार उजागर किया, चार्जशीट दाखिल की |
जुलाई 2025 | दो HOD सहित सात गिरफ्तारी, राम कुमार फरार |
यह प्रकरण न सिर्फ विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा पर गंभीर दाग है, बल्कि तकनीकी लापरवाही, अनुचित प्रशासनिक व्यवहार और पारदर्शिता की कमी के खतरों को स्पष्ट करता है। उम्मीद है कि जांच में आगे की कार्रवाई, आडिट रिपोर्ट और कानूनी प्रक्रिया से न्याय होगा और अन्य संस्थानों को यह जागृति देने का माध्यम बनेगा।
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