Biz & Expo

सरकार के इस फैसले के बाद घरेलू बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में आया तगड़ा उछाल

केन्द्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने चौतरफा महंगाई की मार झेल रही जनता को राहत देने के लिए पिछले 7 दिनों में एक के बाद कई बड़े फैसले किए हैं। पहले जहां पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम करने के लिए एक्साइज ड्यूटी में कटौती की गई। वहीं, मंगलवार को सरकार ने कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल के आयात पर कस्टम ड्यूटी, एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपेमेंट सेस शून्य कर दिया है। यानी 20 लाख टन तक इन कच्चे तेलों के आयात पर ये टैक्स नहीं देने होंगे। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के इस फैसले के बाद इन प्रमुख खाद्य तेल की कीमतों में 3 से 5 रुपये की गिरावट देखने को मिल सकती है।

खाद्य तेल की कीमतों में क्यों लगी है आग

पहले ‘रूस और यूक्रेन युद्ध’ और फिर इंडोनेशिया के पॉम ऑयल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाने के बाद घरेलू बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में तगड़ा उछाल देखने को मिल रही है। सोयाबीन तेल की कीमत में पिछ्ले एक साल के दौरान 11.6% बढ़कर 171 रुपये और सूरजमुखी के तेल की कीमत 192 रुपये तक पहुंच गई। वहीं, इस दौरान पाॅम ऑयल की कीमतों में 19% और वनस्पति की कीमतों 28% का इजाफा देखने को मिला है। खाद्य तेल की कीमतों में आई इस तेजी ने आम आदमी के बजट को बिगाड़कर रख दिया है। सरकार के फैसले और इंडोनेशिया के द्वारा प्रतिबंध हटाने के बाद कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। बता दें, भारत अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 60 प्रतिशत से ज्यादा खाद्य तेल का आयात करता है।

चीनी पर भी प्रतिबंध

आने वाले महीनों में आम आदमी को चीनी कड़वी ना लगने लगे इसके लिए सरकार ने कड़ा फैसला किया है। सरकार ने घरेलू मांग को देखते हुए चीनी के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत के इस फैसले की वजह दुनिया भर के बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है। क्योंकि ब्राजील के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा निर्यात करने वाला देश है। बता दें, भारत में गन्ने की नई फसल अक्टूबर तक तैयार होने की उम्मीद है

Related Articles

Back to top button
Event Services