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‘समय पर बरतें सावधानी’, इन्फ्लूएंजा के बढ़ते मामलों पर विशेषज्ञ बोले- घबराने की जरूरत नहीं

विशेषज्ञों ने कहा कि अगर समय पर सावधानी बरती जाए तो घबराने की जरूरत नहीं है। दिल्ली के अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर अनुपम सिब्बल ने बताया कि एच3एन2 के लक्षण कोविड-19 जैसे ही हैं लेकिन यह लंबे समय तक बने रहते हैं।

देश में कोरोना के मामलों में कमी आने के बाद इन्फ्लूएंजा एच3एन2 के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। ऐसे में विशेषज्ञों ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।

विशेषज्ञों ने कहा कि अगर समय पर सावधानी बरती जाए, तो घबराने की जरूरत नहीं है। वायरस के लक्षणों के बारे में बात करते हुए दिल्ली के अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर अनुपम सिब्बल ने बताया कि एच3एन2 के लक्षण कोविड-19 जैसे ही हैं, लेकिन यह लंबे समय तक बने रहते हैं।

करीब-करीब कोरोना जैसे ही हैं इन्फ्लूएंजा के लक्षण

उन्होंने बताया कि समय-समय पर वायरस में परिवर्तन देखने को मिलते हैं। इन्फ्लूएंजा के लक्षण कोरोना के बाद दिखाई दे रहे हैं, हालांकि इसके लक्षण लगभग कोरोना जैसे ही हैं। इसके लक्षण में खांसी, जुकाम और बुखार शामिल है, लेकिन मरीजों में इसके लक्षण लंबे समय तक दिखाई दे रहे हैं जिसकी वजह से यह तेजी से फैल रहा है।

इसी बीच उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान हम जो सावधानियां बरत रहे थे, उनका पालन करना चाहिए। मास्क पहने, हाथों को साफ रखें। इसके साथ ही अगर किसी व्यक्ति में खांसी, जुकाम या बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो उस व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना बेहद जरूरी है।

बच्चों का रखें विशेष ध्यान

डॉ. सिब्बल ने कहा कि वायरस से बचने के लिए बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। माता-पिता को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि अगर वो बच्चों को स्कूल या फिर बाहर खेलने के लिए भेज रहे हैं, तो वो खांसी और सर्दी से पीड़ित न हों और अगर किसी बच्चे में लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें दूसरे बच्चों के संपर्क में नहीं आना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बच्चों को मास्क पहनाकर ही स्कूल भेजें और उनके हाथों को साफ रखें।

अपोलो हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर आदित्य भाटी ने बताया कि यूं तो वायरस इंसान के सभी अंगों को प्रभावित करता है, लेकिन ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन हैमरेज जैसे मामलों में दिमाग पर ज्यादा असर देखने को मिल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वायरस पूरे शरीर में कहीं भी जा सकता है। इसकी वजह से हमारी नसें पतली हो जाती हैं। पिछले कुछ सालों में ऐसे मामले आए हैं। हालांकि, इनकी संख्या ज्यादा नहीं है।

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