Uttar Pradesh

लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने सोलर टेलिस्कोप से देखी सूरज की सबसे साफ तस्वीर, पढ़े पूरी खबर

सूरज की सतह पर बने धब्बों को वास्तव में सोलर टेलिस्कोप के जरिए आसानी से देखा जा सकता है। सोमवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में खगोल शास्त्र की विशेषज्ञ डा. अलका मिश्रा ने उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सुमित श्रीवास्तव एवं उनकी टीम के सहयोग से सोलर टेलिस्कोप माध्यम से छात्र-छात्राओं को सूर्य की सतह पर सोलर स्पॉट्स का नजारा दिखाया। 

डा. अलका मिश्रा ने विद्यार्थियों को बताया कि इस समय सूर्य की सतह पर काले रंग में लगभग 12 सन स्पॉट देखे जा सकते हैं । लगभग 15 करोड़ किमी की दूरी पर स्थित सूरज की कई परते हैं, जिसमें सबसे सबसे ऊपरी परत (फोटोस्फीयर) का तापमान लगभग 5500 डिग्री सेल्सियस है। इसी फोटोस्फीयर पर काले धब्बों के रूप में हमें यह सोलर स्पॉट दिखाई देते हैं जिनका व्यास लगभग 37000 किमी और गहराई लगभग 400 किमी है।

सोलर स्पॉट की संख्या हर 11.1 साल में चरम पर होती है। यह सौर्य विकिरण पर चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव को दर्शाते हैं। इनके अध्ययन से हमें सूर्य के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी मिलती हैं। अधिक सोलर स्पॉट वातावरण में अधिक ऊर्जा पहुंचाते हैं, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होनी चाहिए।

चुंबकीय गड़बड़ी की वजह से जोड़े में रहते हैं सोलर स्पॉट : भौतिकी विभाग के प्रो. अमृतांशु शुक्ल ने बताया कि सूर्य की सतह के पास संवहनी प्लाज्मा में चुंबकीय गड़बड़ी की वजह से सोलर स्पॉट जोड़े में होते हैं। चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक सनस्पॉट से निकल कर दूसरे स्थान पर प्रवेश करती हैं। बढ़ी हुई चुंबकीय गतिविधि की अवधि के दौरान भी अधिक सोलर स्पॉट होते हैं। उस समय सौर सतह से अधिक आवेशित कण उत्सर्जित होते हैं, और सूर्य अधिक यूवी और दृश्य विकिरण उत्सर्जित करता है।

अनुमान है कि सूर्य की सामान्य विकिरण ऊर्जा और एक सोलर स्पॉट चक्र के चरम पर विकिरित ऊर्जा के बीच लगभग 0.2 प्रतिशत तक भिन्नता होती है। इस अवसर पर गणित एवं खगोलशास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रो. पूनम शर्मा एवं अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. पूनम टंडन ने भी सभी छात्र-छात्राओं को विज्ञान के क्षेत्र को कैरियर के रूप में चुनने के लिए प्रोत्साहित किया ।

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