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योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है …

आल्मा मातेर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित की गई वर्चुअल योग कार्यशाला
योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह हमारी बदलती जीवन-शैली के लिए तो उपयोगी है ही साथ ही साथ यह हमें प्रकृति से भी जोड़ता है। वर्तमान समय में स्वस्थ रहना अति आवश्यक है जिसके लिए योग से बढ़कर और कोई दूसरा उपाय नहीं है।
योग के महत्व को समझते हुए तथा भारत की प्राचीन परंपरा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने के लिए सितम्बर 2014 में संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसकी घोषणा की तथा इसका प्रारंभ 21 जून 2015 से हुआ। यह दिन वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और योग भी मनुष्यों को दीर्घायु बनाता है। इससे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है।
हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी आल्मा मातेर विद्यालय में वर्चुअल मीटिंग्स के माध्यम से दिनांक 6 जून से लेकर 21 जून तक योग पर आधारित कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें के विद्यार्थियों, शिक्षक-शिक्षिकाओं ने बढ-चढ़कर  भाग लिया । इस अवसर पर सभी ने मकरासन, ताड़ासन, उष्ट्रासन सूर्य नमस्कार, शशकासन, मण्डूकासन, मत्स्यासन, सुप्तासन, पवनमुक्तासन, शीर्षासन, वज्रासन, पद्मासन, प्राणायाम आदि आसन किए तथा इन आसनों से होने वाले लाभों के बारे में जाना । इस अवसर पर विद्यालय प्रधानाचार्या श्रीमती पूनम, उपप्रधानाचार्य श्री  शुभेन्दु दत्ता भी वर्चुअल कार्यशाला में उपस्थित  रहे। वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन विद्यालय के शिक्षक श्री गिर्जेश यादव के कुशल नेतृत्व में संपन्न हुआ 

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