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बिहार में महिला ने नौ महीने के बदले मात्र तीन महीने 12 दिन के अंतराल पर दो बार दिया बच्चे को जन्म…

समस्तीपुर जिले के उजियारपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है। एक महिला ने आशा की मिलीभगत से नौ महीने के बदले मात्र तीन महीने 12 दिन के अंतराल पर दो बार बच्चे को जन्म दिया। दोनों बार महिला ने लड़के को ही जन्म दिया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग को इसकी भनक भी नहीं लगी। दोनों बार उक्त महिला उजियारपुर अस्पताल में ही भर्ती हुई और प्रसव कराया। उक्त महिला हरपुर रेबाड़ी गांव की है। इस फर्जीवाड़ा के पीछे जननी बाल सुरक्षा योजना का लाभ बताया जाता है। मामले का खुलासा होने के बाद सिविल सर्जन डा. सत्येंद्र कुमार गुप्ता ने अपर उपाधीक्षक सह सहायक अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी गैर संचारी रोग के नेतृत्व में एक जांच टीम गठित कर दी है।

पहले प्रसव के बाद मिल गयी थी राशि

रिकॉर्ड के अनुसार उक्त 28 वर्षीय महिला उजियारपुर प्रखंड के हरपुर रेबाड़ी गांव की निवासी है। उसी गांव की आशा रीता देवी की मदद से वह पहली बार 24 जुलाई को उजियारपुर पीएचसी में भर्ती हुई। उसी दिन महिला ने एक लड़के को जन्म भी दिया। इसके बाद उक्त महिला फिर तीन नवंबर को उजियारपुर पीएचसी में प्रसव के लिए भर्ती हुई तथा चार नवंबर को एक लड़के को जन्म दिया। इसके बाद महिला को डिस्चार्ज कर दिया गया।

उजियारपुर पीएचसी में नवंबर में हुए संस्थागत प्रसव के बाद जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत लाभुकों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि के भुगतान के लिए डिटेल बनाया जा रहा था। इसी दौरान पाया गया कि उक्त महिला का प्रसव 24 जुलाई को भी कराया गया। जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने 31 जुलाई को जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि का भी भुगतान करा दिया गया। अब फिर से चार नवंबर को हुए प्रसव कराने को लेकर मामला फंस गया। अस्पताल के लेखापाल रितेश कुमार चौधरी ने तत्काल इसकी सूचना पीएचसी प्रभारी, अस्पताल प्रबंधक, डीएएम एवं डीपीएम को दी। साथ ही उसका भुगतान रोक दिया गया।

दोषियों पर होगी कार्रवाई

सिविल सर्जन डा. सत्येंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि उजियारपुर पीएचसी में तीन महीने के अंतराल पर प्रसव कराए जाने का मामला सामने आया है। इसमें जांच टीम गठित की गयी है। जांच टीम की रिपोर्ट पर दोषी कर्मी के विरुद्ध कार्रवाई की गयी है। भुगतान के लिए फर्जीवाड़ा प्रतीत हो रहा है। 

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