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कर्नाटक की इन जगहों पर करें जमकर मस्ती

कर्नाटक की हरी-भरी पहाड़ियों का नजारा मानसून के बाद और भी ज्यादा खूबसूरत हो जाता है। वैसे साउथ की किसी भी जगह घूमने-फिरने की प्लानिंग मानसून बाद ही करना चाहिए। क्योंकि उस दौरान मौसम का मिजाज़ खुशगवार रहता है। नेचर से लेकर एडवेंचर तक के लिए यहां इतने सारे ऑप्शन्स हैं जो आपको कन्फ्यूज कर सकते हैं कि किन जगहों को सैर पहले करें। तो आइए चलते हैं कुछ ऐसी ही जगहों के सैर पर।

कर्नाटक में देखने लायक जगहें 

कर्नाटक के वेस्टर्न घाट में मुल्लयानगिरि और बाबा बूदन गिरि पर्वत दो खूबसूरत घूमने वाली जगहें हैं। लेकिन यहां तक हर किसी का पहुंच पाना मुमकिन नहीं क्योंकि मुल्लयानगिरि कर्नाटक की सबसे ऊंची चोटी है और इस पर बना है संत मुल्लपा स्वामी का मंदिर। जिसकी वजह से इसका नाम मुल्लयानगिरि पड़ा। यहां तक पहुंचने के लिए आपको काफी दूर ट्रैकिंग करनी पड़ेगी लेकिन रास्ते में मिलने वाले खूबसूरत नजारे आपके इस लंबे सफर को यादगार और सुहाना बनाने का काम करते हैं। यहां से ढ़लते सूरज को देखना वाकई अलग और अद्भुत अनुभव होता है।

दूसरा है बाबा बुदन गिरि पहाड़ी, जिसे ये नाम सूफी संत बाबा बूदन के नाम से मिला। टूरिस्ट यहां स्थित तीन सिद्धों की गुफाओं को भी देख सकते हैं। हाइकिंग और ट्रैकिंग लवर्स की तो ये पसंदीदा जगहों में शामिल है। इसी जगह मुनायनगिरी और दत्तागिरी नामक दो दूसरी पहाड़ियां हैं जिनकी खासियत है 12 साल बाद खिलने वाला कुरिंजी फूल। जिसे देखने देश-विदेश से टूरिस्ट आते हैं।

इन जगहों की भी करें सैर

 

जोग फॉल्स

कर्नाटक आएं तो जोग फॉल्स देखने जरूर जाएं। शारावती नदी पर स्थित जोग फॉल्स भारत का दूसरा सबसे ऊंचा वाटर फॉल है। 253 फीट की ऊंचाई से गिरता पानी और आसपास के पहाड़ किसी चित्रकार की कला जैसे लगते हैं। जोग फॉल्स के आसपास भी कई सारी जगहें हैं जिन्हें एक दिन में आसानी से घूमा जा सकता है।

कुटजाद्रि

कुटजाद्रि पहाड़ी ऐसी ही एक जगह है। जिसे यहां की सरकार ने प्राकृतिक धरोहर घोषित किया है।यहां इंडियन रॉक पाइथन से लेकर हॉर्नबिल और मालाबर लंगूर जैसे कई विचित्र प्राणियों को देखा जा सकता है।

अगुम्बे

कर्नाटक के शिमोगा जिले में अगुम्बे भी मशहूर टूरिस्ट स्पॉट है। समुद्र तल से 2725 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस जगह को दक्षिण भारत का चेरापूंजी कहा जाता है क्योंकि यहां भी पूरे साल बारिश होती रहती है।

इसके बाद भी अगर आपके पास वक्त है और घूमने का दिल है तो चिकमंगलूर, मैसूर और बेंगलुरु का प्लान बना सकते हैं। जिन्हें खासतौर से सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है।

कैसे पहुंचें?

मुल्लयानगिरि और बाबा बूदन गिरि, चिकमंगलूर से 25 किलोमीटर और राजधानी बेंगलुरु से 250 किलोमीटर दूर हैं। इन दोनों जगहों के लिए बड़े शहरों से नियमित रूप से टैक्सी और बसें मिलती हैं। सबसे करीबी रेलवे स्टेशन चिकमंगलूर है और सबसे नजदीक एयरपोर्ट बेंगलुरु है। जहां से हर एक जगह के लिए टैक्सी की सुविधा मौजूद रहती है। ठहरने के लिए होटल, रिजॉर्ट, होम स्टे और ईको कैम्प मिल जाएंगे।

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