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वंदेभारत एक्सप्रेस की औसत स्पीड बढ़ाने की तैयारी में रेलवे, यात्रियों के बढ़ते रुझान को देखते हुए जल्द लिया जा सकता है फैसला

अंबाला। देश की पहली सेमीहाईस्पीड वंदेभारत एक्सप्रेस में यात्रियों का रुझान बढ़ता ही जा रहा है। औसतन स्पीड भी बढ़ाने को लेकर विकल्प तलाशे जा रहे हैं। मौजूदा समय में 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ने वाली इस ट्रेन की औसत स्पीड सौ भी पार भी नहीं हो पा रही। रेलवे का फोकस है कि इसकी औसत स्पीड को बढ़ाया जा सके।

यात्रियों की संख्या रिकॉर्डतोड़ रही

रेलवे ने दस वंदे भारत एक्सप्रेस का डाटा साझा किया, जिसमें यात्रियों की संख्या रिकार्डतोड़ रही है। नवंबर माह के आंकड़े पर गौर करें तो 1 लाख 94 हजार 902 यात्रियों ने सफर किया। यही कारण है कि अब चार और वंदेभारत एक्सप्रेस ट्रेन नई चलाने औ एक का विस्तार चंडीगढ़ तक किया जा रहा है। भले ही शताबदी, राजधानी और दुरंतों जैसी ट्रेनों की स्पीड पहले की तुलना में बढ़ाई जा चुकी है, जबकि इनकी औसत स्पीड सौ के पास पहुंच गई है, लेकिन सौ का आंकड़ा पार नहीं हुआ है।

जानकारी के अनुसार गतिमान 150, शताब्दी और राजधानी 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन पटरी पर दौड़ रही हैं लेकिन इस तेज रफ्तार के बावजूद यात्रियों का सफर उस हिसाब से कम नहीं हुआ। शताब्दी और राजधानी की औसत स्पीड करीब 95 से ऊपर नहीं आ पा रही। हालांकि रेलवे की तरफ से ट्रेन दौड़ने 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार आंकी जा चुकी है।

सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत स्पीड ये है

इसके अलावा सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत स्पीड तो करीब 70 किमी प्रति घंटा के आसपास है। किंतु औसत स्पीड न बढ़ने के अनेकों कारण हैं जिसमें प्रमुख कारण बिजी रुटों पर ट्रेनों की संख्या का निर्धारित मापदंड से भी अधिक इजाफा होना, पटरियों के दोनों तरफ कंक्रीट की दीवार न होना और ट्रैक पर स्थायी रूप से तकनीकी कारणों के चलते ब्लाक होना आदि माना जा रहा है।

इस तरह बिजी रुटों पर ट्रेनों की संख्या में हुआ इजाफा

रेलवे के सिंगल लाइन में 24 से 30 रेलगाड़ियां ही दौड़ सकती हैं जबकि डबल लाइन में यह संख्या 60 तक है। ट्रेनों की संख्या में इजाफा होने के कारण एक ट्रेन के पीछे दूसरी ट्रेन दौड़ रही होती है जबकि सिग्नल न मिलने के कारण ट्रेन चालक को कभी गाड़ी बीच में रोकनी पड़ती है तो कभी ट्रेन की रफ्तार कम करनी पड़ती है। अब एक ही पटरी पर मालगाड़ी, शताब्दी, राजधानी सब दौड़ रही हैं जिसका असर भी कहीं न कहीं ट्रेनों की रफ्तार पर पड़ रहा है जिस कारण यात्रियों का सफर कम नहीं हो पा रहा है। इसी कारण से ट्रेनों के ठहराव कम किए गए हैं और ट्रैक पर भी काम चल रहा है ताकि इसकी स्पीड बढ़ने से यात्रियों को फायदा हो।

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