Uttarakhand

प्लूटो का वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी से 80 हजार गुना कम,एरीज नैनीताल समेत फ्रांस व ब्राजील ने भी किया शोध

प्लूटो (Pluto) ग्रह की सतह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी से 80 हजार गुना कम है। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences नैनीताल की देवस्थल स्थित 3.6 व 1.3 मीटर व्यास वाली दूरबीनों से किए गए अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों से यह महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई है। इस शोध में एरीज के अलावा फ्रांस व ब्राजील के विज्ञानियों ने भी सहयोग किया है।

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एरीज के खगोल विज्ञानी डा. सौरभ शर्मा ने बताया कि प्लूटो (Pluto) के वायुमंडलीय दबाव (Atmospheric pressure of Pluto) की सटीक गणना की गई है। यह दवाब वर्तमान में उच्च स्तर पर है और अब कम होना शुरू हो जाएगा। पृथ्वी पर औसत समुद्र तल पर वायुमंडलीय दबाव के लिहाज से यह प्लूटो में 80 हजार गुना कम है। दबाव की गणना छह जून 2020 को प्लूटो के तारकीय गूढ़ता के अवलोकन से प्राप्त आंकड़ों के माध्यम से की गई है। इस  गणना को इसलिए भी दुर्लभ माना जा रहा है क्योंकि प्लूटो 248 साल में सूर्य का एक चक्कर लगाता है।

विज्ञानियों की टीम ने प्लूटो (Pluto) की सतह पर वायुमंडलीय दबाव के सटीक आकलन के लिए प्रयुक्त उपकरणों से प्राप्त सिग्नल टू शोर का उपयोग किया गया। जिसमें वायुमंडलीय दबाव 12.23 माइक्रोबार पाया गया। डा. सौरभ शर्मा ने बताया कि बौना ग्रह प्लूटो की आकल्टेशन यानी तारकीय प्राच्छादन प्रक्रिया विशेष रूप से सामयिक थी। प्लूटो के ध्रुव दशकों तक स्थायी रूप से सूर्य के प्रकाश या अंधेरे में 248 साल की लंबी अवधि तक बने रहते हैं। जिस कारण उसके नाइट्रोजन वातावरण पर तीव्र प्रभाव पड़ता है। जो मुख्य रूप से सतह पर बर्फ  के साथ वाष्प दबाव संतुलन से नियंत्रित होता है। इस ग्रह के तारकीय प्राच्छादन अब दुर्लभ होते जा रहे हैं। जिस कारण यह खोज निर्णायक बन गई है।

खोज टीम के सहयोगी

इस महत्वपूर्ण खोज टीम में ब्रूनो सिकाडी, नागरहल्ली, एम अशोक, आनंदमयी तेज, गणेश पवार, शिशिर देशमुख, अमेया देशपांडे, जोसेलिन डेसमार्स, मार्सेलो असाफि , जोस लुइस आर्टिज, गुस्तावो, बेनेडेटी, रासी फिलिप ब्रागा, रिबास, राबर्टो विएरा, मार्टिंस पाब्लो, सैंटोस सांज, कृष्ण चंद, भुवन भट्ट शामिल रहे।

मददगार साबित हो रही एरीज की दूरबीन

एरीज के निदेशक प्रो. दीपांकर बनर्जी ने कहा कि एरीज की देवस्थल में स्थापित दूरबीन शोध में निरंतर कारगर साबित हो रही है। अभी तक दर्जनों शोध इस दूरबीन के जरिए हो चुके हैं। अब प्लूटो के वायुमंडलीय दबाव की जानकारी उत्साहवर्धक है।

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