Uttarakhand

अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य के ईको सेंसिटिव जोन की अधिसूचना जारी,ईको सेंसिटिव जोन जिसमें एक भी गांव नहीं

अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य के ईको सेंसिटिव जोन की अंतिम अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह प्रदेश का पहला ऐसा ईको सेंसिटिव जोन होगा जिसमें एक भी गांव शामिल नहीं है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मांग  और निवर्तमान प्रभागीय वनाधिकारी डा. विनय भार्गव के विशेष प्रयासों से अस्कोट वन्यजीव विहार के सेंसिटिव जोन की भारत सरकार ने दो दिसंबर को अंतिम अधिसूचना जारी कर दी है। अंतिम अधिसूचना में पारिस्थितिकीय संवेदी जोन में एक भी गांव को शामिल नहीं किया गया है। इसका लाभ यह होगा कि भविष्य में आसपास के गांवों में किसी प्रकार के विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न नहीं होगी।अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य की सीमा 600 वर्ग कि लोमीटर क्षेत्र में है।

अभयारण्य बनाने का मूल उद्देश्य क्षेत्र की वनस्पतियों और वन्यजीवों की वृहद जैव विविधता का संरक्षण करना था। अभयारण्य का ईको सेंसिटिव जोन (पारिस्थितिकीय संवेदी जोन) का विस्तार अभयारण्य की सीमा के चारों ओर 22 किमी तक फैला है। इस जोन का क्षेत्रफल 454. 65 वर्ग किलोमीटर है। अंतरराष्ट्रीय सीमा होने के कारण अभयारण्य के पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी भागों की तरफ पारिस्थितिकीय जोन का शून्य विस्तार है। उत्तरी भाग में रहने वाले स्थानीय समुदाय और आदिम वनराजि जनजाति के निवास के कारण शून्य विस्तार है। 

अस्कोट और धारचूला के 12 वन खंडों में फैला है अस्कोट अभयारण्य

अस्कोट अभयारण्य अस्कोट और धारचूला के 12 वन खंडों में 600 वर्ग किलोमीटर में फैला है। जिसमें 290.914 वर्ग किमी आरक्षित वन और 309.086 वर्ग किमी वन पंचायतों और अवर्गीकृत सिविल वन का क्षेत्र है।

दुर्लभ, लुप्तप्राय वन्यजीव और वनस्पतियों का भंडार

अस्कोट वन्य जीव विहार में पौधों की 2600, पक्षियों की 250, स्तनधारियों की 37 प्रजातियां हैं। वन्यजीवों में तेंदुआ, हिमालयन  काला भालू, कस्तूरी हिरण, हिमालयन थार, ब्लू भेड़ हैं। इसके अलावा लूंगर, मोनाल, कलीज फीजेंट, चीर फीजेंट आदि प्रमुख हैं।

सात हजार मीटर की ऊंचाई तक  फैला है अभयारण्य

अस्कोट अभयारण्य 600 से 7000 मीटर की ऊंचाई तक फैला है। यह काली नदी और उसकी सहायक संभर क्षेत्र में स्थित है। आने वाले समय में यहां पर पर्यटन के द्वार खुलने हैं। पर्यटन विकास के लिए राज्य सरकार को कार्य करने हैं।

निवर्तमान डीएफओ डा. विनय भार्गव का कहना है कि अभयारण्य के सेंसिटिव जोन की भारत सरकार ने अंतिम अधिसूचना जारी कर है। जोन में एक भी गांव शामिल नहीं किया गया है। भविष्य में यहां पर विकास कार्य होंगे।

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