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बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की दृष्टि से प्रदेश के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में दिया जा रहा शोध को बढ़ावा

परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) को ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में विकसित कर उच्च गुणवत्ता वाले शोध और नवाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इसी चरण में प्रदेश के 15 डायट, जिनमें से अधिकांश ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस-प्रथम चरण’ में चयनित हैं, के प्रवक्ताओं हेतु एक तीन दिवसीय ‘शोध रिपोर्ट लेखन’ कार्यशाला का आयोजन लखनऊ में उत्तर प्रदेश राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से किया गया जिसका समापन गुरुवार को हुआ।
संयुक्त निदेशक, डॉ. पवन कुमार ने कहा कि “कार्यशाला का उद्देश्य प्रशिक्षकों को ऐसी शोध रिपोर्ट विकसित करने में सहायता प्रदान करना है जिन्हें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किया जा सके एवं आवश्यकता के आधार पर शैक्षिक कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई जा सके।“


उन्होंने बताया कि दिसम्बर 2023 में प्रदेश के 15 डायट के प्रवक्ताओं का एक 10 दिवसीय प्रशिक्षण महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, गुजरात में आयोजित किया गया था जिसमें उन्हें शोध के विषय में प्रशिक्षित किया गया था। वहाँ से आकर प्रवक्ताओं द्वारा शोध विषयों का चयन किया गया एवं अब, जब वे शोध के अंतिम चरण में हैं, तो उन्हें एकत्र किए गए आकड़ों के विश्लेषण एवं रिपोर्ट लेखन पर विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है।
महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा के शिक्षा और मनोविज्ञान संकाय में डीन और शिक्षा विभाग के प्रमुख प्रो. आशुतोष बिस्वाल, जो गुणात्मक शोध में राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं, ने इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को उनके शोध रिपोर्ट को बेहतर बनाने हेतु मार्गदर्शन प्रदान किया।
यूनिसेफ के शिक्षा अधिकारी, श्री रवि राज दयाल ने बताया कि एक समन्वित ’शोध मॉड्यूल’ का विकास किया जा रहा है जो डायट प्रवक्ताओं के लिए एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करेगा, शोध तकनीकों को सरल तरीके से समझाएगा और अन्य लोगों को प्रभावी ढंग से प्रशिक्षण देने में मददगार होगा। श्री दयाल ने शोध पद्धति में मास्टर प्रशिक्षकों के एक कोर समूह को विकसित करने के लिए एससीईआरटी के साथ काम करने की यूनिसेफ की प्रतिबद्धता को दोहराया।
उत्तर प्रदेश में डायट के वर्तमान परिदृश्य को समझने के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से एक अध्ययन 2022 में किया गया था। अध्ययन ने नवीनतम नीतियों और शोध को समावेशित करते हुए डायट के पाठ्यक्रम में बदलाव लाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला था एवं अध्ययन में लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम और डायट प्रवक्ताओं के लिए प्रशिक्षण के नए अवसरों की आवश्यकता को भी उजागर किया था। इसके साथ ही भौतिक अवस्थापनाओं को बेहतर बनाने एवं पुस्तकालय, प्रयोगशाला आदि के विकास की जरूरत को भी अध्ययन में दर्शाया गया था।
इसके बाद यूनिसेफ के सहयोग से डायट को सेंटर औफ एक्सीलेंस में परिवर्तित करने हेतु रोडमैप तैयार किया गया था जिसमें पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं, पाठ्यक्रम संदर्भीकरण, सक्रिय शिक्षण के लिए डायट को संसाधन केंद्र के रूप में विकसित करना, प्रौद्योगिकी और डिजिटल उपकरणों का उपयोग, स्थानीय संदर्भ और आवश्यकता के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम विकसित करना एवं संचालित करना आदि शामिल हैं।
चयनित 15 जनपदों में आगरा, अलीगढ़, बाराबंकी, बरेली, ग़ाज़ीपुर, गोरखपुर, जौनपुर, कानपुर देहात, कुशीनगर, मेरठ, मुरादाबाद, मुज़फ्फरनगर, प्रयागराज, रामपुर और वाराणसी शामिल हैं।

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