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क्या है Hemophilia जो बन सकता है ब्लीडिंग का कारण, एक्सपर्ट से जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव के तरीके

Hemophilia रक्तस्राव यानी ब्लीडिंग से जुड़ा एक विकार है जिसकी वजह से शरीर में खून जमने की प्रक्रिया रुक जाती है। यह एक गंभीर समस्या है लेकिम बावजूद इसके आज भी लोगों में इसे लेकर जागरूकता की कमी है। ऐसे में इस विकार के लक्षण कारण और प्रकार बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने एक्सपर्ट से बात की।

आमतौर पर चोट लगने, कटने आदि पर खून में मौजूद एक विशेष तरह का प्रोटीन (Protein) सक्रिय हो जाता है। इससे खून में थक्के जमने की प्रक्रिया शुरू होती है और थोड़ी देर बाद खून बहना बंद हो जाता है, लेकिन जब शरीर खून जमने की प्रक्रिया नहीं हो पाती, वह इस स्थिति को हीमोफीलिया (Hemophilia) कहा जाता है। वास्तव में हीमोफीलिया रक्तस्राव यानी ब्लीडिंग से संबंधित एक आनुवंशिक विकार है। इस बारे में विस्तार से जानने के लिए सीमा झा ने नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में सीनियर हीमोटोलाजिस्ट डॉ. गौरव खार्या से बातचीत की।

क्या है हीमोफीलिया?

डॉक्टर गौरव बताते हैं कि हीमोफीलिया शरीर में खून के थक्के जमने की प्रक्रिया को बंद कर देता है। इस विकार का वाहक एक्स क्रोमोजोम होने के कारण महिलाओं से पुरुषों में इसका प्रवाह पाया जाता है। निदान की बात करें तो अभी इस संबंध में उस स्तर की जागरूकता नहीं आई है कि लोग हीमोफीलिया का पारिवारिक इतिहास रहने पर कंसेप्शन से पहले सजग रह सकें। हालांकि, जीन चिकित्सा की मदद से काफी हद तक इस बीमारी को रोकने में मदद मिल सकती है।

हीमोफीलिया के प्रकार

हीमोफिलिया ए और बी सबसे सामान्य प्रकार हैं। अगर मरीज इन दोनों प्रकार के हीमोफीलिया से पीड़ित है,तो उसे लंबे समय तक ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है। अगर हीमोफीलिया है, तो सबसे ज्यादा ध्यान ब्लीडिंग से बचने और इसके इलाज पर ध्यान होना चाहिए।

क्या हैं लक्षण

  • शरीर पर कई बड़े या गहरे घाव।
  • जोड़ों में दर्द, जकड़न या सूजन होना
  • बिना किसी कारण के नाक से खून बहना
  • हीमोफीलिया से पीड़ित बच्चे में कई टार्गेट प्वाइंट बन जाते हैं। जैसे-कभी कंधे पर तो कभी घुटने पर गांठ बन जाती है।
  • बच्चे को असहनीय दर्द हो सकता है। उसे बार-बार उल्टी होती है।
  • लंबे समय तक तेज सिरदर्द रहना
  • अत्यधिक थकान महसूस होना

इन बातों का रखें ध्यान

  • अब ऐसे मरीजों की प्रोफाइल तैयार की जाती है। इससे पता चल जाता है कि किस स्तर का हीमोफीलिया है।
  • साप्ताहिक दवा भी मिलने लगी है, जिससे अब हीमोफीलिया का बेहतर प्रबंधन संभव है।
  • अगर घर में इस बीमारी का इतिहास है, तो पति-पत्नी को बच्चे के जन्म से पहले ही अपनी हीमोफीलिया जांच करानी चाहिए।
  • हीमोफीलिया के शिकार हैं, तो तनाव लेने के बजाय उपचार पर ध्यान केंद्रित करें।
  • हीमोफीलिया के मरीजों को बह चुके खून की पूर्ति करने के लिए अच्छे खानपान पर ध्यान देना चाहिए।

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