एक-एक कर बंद हो रहे हैं मुख्तार के बचाव के रास्ते, UP में 5वें मुकदमे में कसा शिकंजा, कई और मामले अभी बाकी
कभी सटीक कानूनी दांव-पेंच के बलबूते खुद को बचाता रहा माफिया मुख्तार अंसारी अब अभियोजन के ऐसे चक्रव्यूह में घिर चुका है, जिससे उसके बचाव के रास्ते एक-एक कर बंद होते जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि चालीस के दशक से दहशत का पर्याय रहे मुख्तार अंसारी को पहली बार हत्या के मुकदमे में भी सजा सुनाई गई है।
बहुचर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड में सजा सुनाए जाने से पहले मुख्तार को पांच अन्य मामलों में भी सजा सुनाई जा चुकी है। इनमें लखनऊ जेल में जेलर को धमकाने का मामला आइपीसी की धाराओं से जुड़ा था, जबकि शेष दो मामले गैंगस्टर एक्ट के हैं। वहीं दिल्ली कोर्ट ने वर्ष 2003 में मुख्तार को आयुष व टाडा अधिनियम के तहत दर्ज केस में दोषी ठहराया था।
मुख्तार अंसारी हो या बीते दिनों पुलिस अभिरक्षा के दौरान मारा गया माफिया अतीक अहमद व ऐसे ही अन्य खूंखार अपराधी। उत्तर प्रदेश में माफिया व अपराधियों के विरुद्ध अभियान के तहत कार्रवाई शुरू होने के बाद दशकों से खड़े आतंक के किले ढहना शुरू हो गए हैं। माफिया अतीक अहमद को भी चार दशक बाद मार्च, 2023 में पहली बार कोर्ट ने उमेश पाल के अपहरण के मामले में सजा सुनाई थी।
माफिया के विरुद्ध चल रहे अभियान को करीब से देखें तो अभियोजन व सरकारी गवाही की एक मजबूत दीवार खड़ी होती नजर आती है। प्रदेश में मुख्तार अंसारी को पहली बार हाई कोर्ट ने लखनऊ जेल में वर्ष 2003 में जेलर एसके अवस्थी को धमकाने के मामले में 21 सितंबर, 2022 को सजा सुनाई थी। इसके बाद 23 सितंबर, 2022 को मुख्तार को लखनऊ में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में दूसरी बार सजा सुनाई गई।
गाजीपुर में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के ही मामले में मुख्तार अंसारी को 15 दिसंबर, 2022 को तीसरी बार सजा सुनाई गई। सोमवार को वह दिन आ गया, जब मुख्तार को हत्या के अपराध में दोषी ठहराया गया। वर्तमान सरकार में 256 दिनों में मुख्तार को पांचवें मामले में सजा सुनाई गई है, जो दूसरे अपराधियों के लिए बड़ा संदेश भी है।
इतना ही नहीं, मुख्तार गिरोह के अन्य सक्रिय सदस्यों के विरुद्ध भी कार्रवाई के कदम लगातार बढ़ रहे हैं। गिरोह के विरुद्ध 155 मुकदमे दर्ज कर 202 सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें 156 के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है।
दो मामलों में हाई कोर्ट से सुनिश्चित कराई सजा स्पेशल डीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि बीते दो वर्षों में मुख्तार के विरुद्ध प्रभावी पैरवी कर लंबे समय बाद नौ मामलों में आरोप तय कराए गए। इनमें वर्ष 2021 में दो तथा वर्ष 2022 में सात मुकदमों में आरोप तय कराए गए, जिनमें अब प्रभावी पैरवी सुनिश्चित कराई जा रही है।
इन मामलों में भी मुख्तार के विरुद्ध कानूनी शिकंजा कसेगा। मुख्तार को अब तक छह मुकदमों में तथा उसके भाई अफजाल अंसारी को एक मामले में काेर्ट ने दोषमुक्त किया है, जिनमें हाई कोर्ट में अपील की गई है। हाई कोर्ट में प्रभावी पैरवी का परिणाम रहा कि लखनऊ जेल के जेलर को धमकाने व लखनऊ मेें ही दर्ज गैंगेस्टर एक्ट के अन्य मामले में मुख्तार खुद को बचा नहीं पाया।
निचली अदालत से राहत पाने में कामयाब रहे मुख्तार को दोषी माना गया। स्पेशल डीजी का कहना है कि मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी व शिबगतुल्ला अंसारी के अलावा उसके बेटे अब्बास अंसारी, उमर अंसारी, पत्नी अफ्सा व बहू निखत बानो भी उसके आपराधिक कृत्यों में सहयोगी व गिरोह के सदस्य रहे हैं।
572 करोड़ की संपत्ति जब्त मुख्तार के विरुद्ध लगभग 19 विचाराधीन मामलों में प्रभावी पैरवी सुनिश्चित कराई जा रही है, जिसकी निगरानी सीधे डीजीपी मुख्यालय से होती है।
माफिया के विरुद्ध अभियान के तहत अब तक मुख्तार अंसारी की गैंगस्टर एक्ट के तहत 586 करोड़ की संपत्ति जब्त, ध्वस्त व कब्जे से मुक्त कराई गई है। उसके लगभग 2100 करोड़ रुपये के अवैध कारोबार व ठेकों को निरस्त किया गया है।
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