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गो आश्रय स्थलों में खरीदे जा रहे भूसा एवं अन्य चारा की मात्रा व गुणवत्ता का सत्यापन

उत्तर प्रदेश सरकार के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री श्री धर्मपाल सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि गोआश्रय स्थलों को आवंटित धनराशि, खरीदे जा रहे भूसा एवं अन्य चारा की मात्रा तथा गुणवत्ता का सत्यापन अनिवार्य रूप से कराया जाए। उन्होंने निर्देश दिये कि गोआश्रय स्थलों में एकत्रित गोबर की खाद किसानों को देकर उसके बदले पराली या अन्य अवशेष प्राप्त कर लिया जाए, जिससे गोबर के निस्तारण तथा फसल अवशेष के जलाये जाने की समस्या का निदान आसानी से हो सके। अधिकारियों द्वारा किसानों एवं पशुपालकों के हित में चलाई जा रही योजनाओं का लाभ समय से लाभार्थियों को दिया जाए और योजनाओं का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए ताकि सभी को उसका लाभ मिल सके।
श्री धर्मपाल सिंह ने आज यहां विधान भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में दुग्ध विकास एवं पशुधन विकास विभाग की साप्ताहिक समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा कार्य में और तेजी लायी जाए और निर्धारित लक्ष्यों को शीघ्र पूरा कियाजाए। योजनाओं के क्रियान्वयन में गुणवत्ता, समयबद्धता और पारदर्शिता का पूरा ध्यान रखा जाए। श्री सिंह ने डेयरी प्लांट की उपयोगिता क्षमता, दुग्ध उपार्जन, तरल दुग्ध बिक्री, बकाया दुग्ध मूल्य भुगतान की स्थिति, निराश्रित गोवंश संरक्षण तथा गोशालाओं के निर्माण की प्रगति, वृहद गोसंरक्षण केन्द्रों के निर्माण की अद्तन स्थिति तथा कब्जामुक्त गोचर भूमि पर हरा चारा उत्पादन के संबंध में अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।


श्री सिंह ने कहा कि वन विभाग की खाली पड़ी भूमि पर हरा चारा उत्पादन किये जाने का निर्णय कैबिनेट द्वारा लिया जा चुका है। इसलिए प्रदेश के 07 जनपदों महराजगंज, लखीमपुरखीरी, कासगंज, फर्रूखाबाद, चित्रकूट, बहराइच तथा शाहजहांपुर में स्थापित गोसदनों की भूमि पर हरा चारा उत्पादन का कार्य कराया जाए। उन्होंने कहा कि गोआश्रय स्थल के प्रभारी पशुचिकित्साधिकारी द्वारा क्रय किये जा रहे भूषा व अन्य चारा की मात्रा तथा गुणवत्ता का सत्यापन अवश्य कराया जाए। श्री सिंह ने कहा कि शत-प्रतिशत मोबाइल वेटनरी यूनिट के वाहनों को गोआश्रय स्थलों में स्वास्थ्य परीक्षण हेतु प्रयोग किया जाए तथा मुख्य पशुचिकित्साधिकारी द्वारा मोबाइल वेटीनरी यूनिट के इमरजेंसी चिकित्सा का सत्यापन डैशबोर्ड पर प्रतिदिन किया जाए।
श्री सिंह ने कहा कि गोआश्रय स्थलों पर सभी व्यवस्थायें यथा हरा चारा, भूसा, पानी, प्रकाश, औषधि चिकित्सा आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए और इसके लिए जिला प्रशासन एवं अन्य संबंधित विभागों का भी सहयोग लिया जाए। उन्होंने कहा कि वृहद गोसंरक्षण केंद्र के निर्माण में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। वर्तमान में 7624 गोआश्रय स्थलों पर 12,10,037 गोवंश संरक्षित हैं। जहां कहीं से भी निराश्रित गोवंश की सूचना प्राप्त हो वहां से गोवंश का संरक्षण कर उन्हें गौआश्रय स्थलों पर संरक्षित किया जाए।


बैठक में प्रमुख सचिव पशुधन एवं दुग्ध विकास श्री के0रवीन्द्र नायक ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जनपदवार जिन गोआश्रय स्थलांे से अभी तक डिमांड/उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजा गया है, उसके कारणों की समीक्षा करते हुए डाटा उपलब्ध कराया जाए और केन्द्र सरकार द्वारा वित्तपोषित नेशनल लाइव स्टाक मिशन अंतर्गत स्वीकृत प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से करके रिपोर्ट उपलब्ध करायी जाए। बैठक में बताया गया कि जनपद अमरोहा में 03, महोबा में 02, एटा में 02, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर, जालौन में 01-01 तथा आगरा व 02-02 ललितपुर में कुल 14 वृहद गोसंरक्षण केन्द्र लोकार्पण हेतु पूर्ण किये जा चुके हैं।
बैठक में पशुधन विभाग के विशेष सचिव श्री देवेन्द्र पाण्डेय, विशेष सचिव श्री राम सहाय यादव, पीसीडीएफ के प्रबंध निदेशक श्री आनंद कुमार सिंह, दुग्ध आयुक्त श्री राकेश कुमार मिश्रा, पशुपालन विभाग के निदेशक डा0 पी0एन0 सिंह, अपर निदेशक डा0 अरविन्द कुमार सिंह, डा0 जयकेश पाण्डेय सहित पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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