नारी शक्ति का अदम्य साहस: विदेश में सर्वप्रथम भारतीय झंडा फहराने वाली वीरांगना

नई दिल्ली। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नारी शक्ति का योगदान इतिहास के स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। संघर्ष के हर मोर्चे पर महिलाओं ने अपने साहस, नेतृत्व और बलिदान से देश को आज़ादी की राह दिखाई। सत्याग्रह आंदोलनों से लेकर समाज सुधार तक, उन्होंने हर क्षेत्र में अपना अद्वितीय योगदान दिया।
इसी कड़ी में एक नाम सदैव प्रेरणा देता है — मैडम भीकाजी कामा। वर्ष 1907 में, जर्मनी के स्टटगार्ट शहर में आयोजित इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस में उन्होंने विदेशी धरती पर पहली बार भारत का झंडा फहराकर विश्व मंच पर स्वतंत्रता की गूंज बुलंद कर दी।

22 अगस्त 1907 को झंडा फहराते समय मैडम कामा ने कहा—
“ऐ संसार के कॉमरेड्स, देखो यह भारत का झंडा है, यह भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, इसे सलाम करो।”
उस समय का यह झंडा वर्तमान तिरंगे से अलग था — इसमें पीली, हरी और लाल पट्टियां थीं, लाल पट्टी पर सूरज और चांद के प्रतीक के साथ “वन्दे मातरम्” अंकित था। यह झंडा हिन्दू और इस्लामी एकता का संदेश भी देता था।
मैडम भीकाजी कामा का यह साहसिक कदम उस दौर में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ खुला विद्रोह था, जिसने दुनिया के सामने भारत की स्वतंत्रता की आकांक्षा को उजागर किया।
स्वतंत्रता संग्राम में नारी शक्ति का यह योगदान आज भी नई पीढ़ी को प्रेरित करता है और याद दिलाता है कि आज़ादी का सपना केवल पुरुषों ने नहीं, बल्कि महिलाओं ने भी बराबर के साहस और बलिदान से साकार किया।
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