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लोकसभा अध्यक्ष निर्वाचित होने के उपरांत श्री ओम बिडला द्वारा लिया गया पहला निर्णय

लोकसभा अध्यक्ष निर्वाचित होने के उपरांत श्री ओम बिडला द्वारा लिया गया पहला निर्णय तथा उनके द्वारा दिया गया पहला बयान संसदीय परंपराओं के खिलाफ रहा और यह बताने के लिए काफी है कि जनता द्वारा सत्ता के खिलाफ मतदान कर भाजपा को दी गई चेतावनी के बावजूद नरेंद्र मोदी सहित भाजपा नेताओं का ना तो अहंकार कम हुआ और न ही उनका संविधान तथा लोकतंत्र विरोधी इरादा ही बदला है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के चेयरमैन पूर्व मंत्री डॉ0 सी0पी0 राय ने कहा कि आज लोकसभा में लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव हुआ जिसके उपरांत लोकसभा नेता विरोधी दल श्री राहुल गांधी सहित सभी विपक्ष के नेताओं ने परंपरा का निर्वहन करते हुए श्री ओम बिड़ला को बधाई दिया और निष्पक्ष रूप से लोकसभा के संचालन के लिए खुले मन से हर तरह से सहयोग का आश्वासन भी दिया।

डॉ0 राय ने कहा कि सदन का कायदा होता है कि पीठ पर बैठा हुआ अध्यक्ष या सभापति निर्धारित एजेण्डे के बाहर न तो एक भी शब्द बोल सकता है और न ही कोई कार्यवाही कर सकता है। उसके बावजूद श्री ओम बिडला ने स्वयं को पार्टी बनाते हुए 50 साल पूर्व लगे आपातकाल को काला दिन बताते हुए दो मिनट का मौन रखवाया। आपातकाल के बाद सरकार भले ही बदल गई थी लेकिन दो वर्ष बाद ही जनता पार्टी की सरकार को हराकर जनता ने इंदिरा गांधी को भारी बहुमत देकर हर आरोप से बरी करते हुए यह बता दिया था कि उसे आपातकाल से कोई शिकायत नहीं थी।

डॉ0 राय ने कहा कि यह कार्य करके श्री ओम बिडला ने पहले ही दिन लोकसभा के अध्यक्ष पद की मर्यादा के साथ खिलवाड़ किया है।

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