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1954 के जगत सिनेमा हाल का बदलेगा स्वरूप

शहर का दिल कहे जाने वाले बड़ा बाजार में वर्ष 1954 में जगत सिनेमा हाल की शुरुआत हुई थी। पहले यहां दर्शकों की भीड़ दिखती थी। हाउसफुल के बोर्ड लग जाते थे, मगर अब नहीं। हर हाथ में स्मार्ट फोन आने के बाद से दर्शकों की संख्या बेहद कम हो गई है। रात के शो में दर्शक नहीं आते हैं। इस समय दक्षिण की हिंदी डब फिल्में यहां लगती हैं। सिनेमा हाल के पास दुकान चलाने वाले लोग बताते हैं कि यहां जय संतोषी मां, नदिया के पार और शमा फिल्मोंं ने सिल्वर जुबली बनाई।70 साल पुराने जगत सिनेमा का स्वरूप बदलेगा। इस दिशा में काम भी शुरू हो चुका है। प्रबंधन के अनुसार साउंड सिस्टम को बेहतर किया जा चुका है, जल्द दर्शकों को अन्य बदलाव भी नजर जाएंगे। हालांकि, दर्शक कम आने के कारण फिल्म के सिर्फ तीन शो ही चलते है आसपास के दुकानदारों को भी इसका लाभ मिलता था। शासन की योजना के तहत जर्जर हो चुके इस सिनेमा के दिन बहुरेंगे। कुर्सियों को बदला जाएगा। प्रबंधन के अनुसार पुरानी वायरिंग को बदला जा चुका है। सिनेमा हाल के दिल्ली निवासी मालिक साक्षी मेहरा बताते हैं कि सिनेमा हाल को रेनोवेट करने की योजना है मगर अभी इसमें समय लगेगा

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