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भारत और नई उभरती हुई विश्व व्यवस्था पर विशेष चर्चा संपन्न

चंडीगढ़ के पी.जी. गवर्नमेंट कॉलेज, सेक्टर 11 में “भारत और नई उभरती हुई विश्व व्यवस्था” विषय पर एक महत्वपूर्ण विचार गोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इस कार्यक्रम का आयोजन एलुमनाई एसोसिएशन, पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कॉलेज, सेक्टर 11, चंडीगढ़ द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में प्रसिद्ध कूटनीतिक विशेषज्ञों और पूर्व राजनयिकों ने भारत की बदलती वैश्विक स्थिति, कूटनीतिक चुनौतियों और अवसरों पर अपने विचार साझा किए।

मुख्य वक्ता:

🔹 पद्मश्री राजदूत कंवल सिब्बल – पूर्व विदेश सचिव, भारत सरकार
🔹 राजदूत मनबीर सिंह – पूर्व राजनयिक, पूर्व IFS अधिकारी, पूर्व राजदूत
मनिंदर बैंस प्रेजिडेंट , नवनीत सोनी वाइस प्रेजिडेंट

विनीत नंदा , प्रेजिडेंट दिल्ली चेप्टर ,

वक्ताओं ने भारत-अमेरिका संबंधों, चीन की भूमिका, BRICS संगठन, पड़ोसी देशों के साथ संबंध, वैश्विक शक्ति संतुलन और भारत के आर्थिक विकास जैसे विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए।

इस चर्चा में बड़ी संख्या में छात्र, शोधकर्ता और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में रुचि रखने वाले लोग उपस्थित रहे। यह आयोजन युवा पीढ़ी को भारत की विदेश नीति और वैश्विक कूटनीति की गहरी समझ प्रदान करने के लिए एक प्रभावी मंच साबित हुआ।

कंवल सिब्बल का बयान: अमेरिकी नीतियों का भारतीय प्रवासियों पर प्रभाव

पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने हाल ही में अमेरिकी नीतियों और उनके भारतीय प्रवासियों पर प्रभाव पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खुलासों ने अमेरिका की आंतरिक नीतियों और वहां मौजूद भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है।

“यदि ये तथ्य किसी सरकारी स्रोत से सामने आते, तो लोग उन पर विश्वास नहीं करते, लेकिन अब जब ट्रंप स्वयं इन सच्चाइयों को स्वीकार कर चुके हैं, तो स्पष्ट हो गया है कि समस्या भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका में है।”

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका ने गलत आधार पर धन आवंटित किया, जिसमें भ्रष्टाचार भी शामिल था। ट्रंप के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि अब अमेरिका को समझ में आ गया है कि उसका धन कहां बर्बाद हुआ और किन योजनाओं में भ्रष्टाचार हुआ।

अवैध प्रवासन और अमेरिका का रुख

अमेरिका में अवैध रूप से पहुंचे भारतीय प्रवासियों के मुद्दे पर सिब्बल ने कहा कि ये लोग पहले भारत के कानूनों का उल्लंघन कर गैरकानूनी रूप से देश छोड़ते हैं और फिर अमेरिका पहुंचकर वहां के नियमों को तोड़ते हैं।

“अमेरिका हमेशा से ऐसे मामलों में सख्त रहा है, और गैरकानूनी तरीके से प्रवेश करने वालों के साथ कठोर व्यवहार किया गया है। हालांकि, अब यह निर्णय लिया गया है कि भविष्य में महिलाओं और बच्चों को निर्वासन (डिपोर्टेशन) के दौरान हथकड़ी नहीं लगाई जाएगी।”

निर्वासन और भारत पर आर्थिक बोझ

सिब्बल ने यह भी बताया कि भारतीय नागरिकों को स्वदेश वापस लाने में भारत पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है।

“अन्य देशों ने अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए विशेष विमान भेजे थे, लेकिन वे देश छोटे हैं और वहां से निर्वासित प्रवासियों की संख्या भारत की तुलना में बहुत कम है। भारत के मामले में निर्वासित लोगों की संख्या बहुत अधिक है, जिससे यह प्रक्रिया अत्यधिक महंगी हो जाती है।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को अपनी प्रवासन नीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि इस तरह की समस्याओं का समाधान निकाला जा सके।

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