हरिद्वार कुंभ में मुस्लिम समुदाय की छोटी बेगम
महाकुंभ में ऐसा पहली बार होगा जब सनातन परंपरा के कुंभ में कोई मुस्लिम महांडलेश्वर के पद पर सुशोभित होगा। दिल्ली की किन्नर छोटी बेगम को हरिद्वार कुंभ से पहले किन्नर अखाड़े में करीब 11 महमबलेश्वरों के साथ महामंडलेश्वर पद पर आसीन किया जाएगा। वहीं इस बार कुंभ में किन्नर अखाड़े ने भी पहली बार पेशवाई में हिस्सा लिया।
बीते कई सालों से किन्नर समाज का हिस्सा रही छोटी बेगम अब चाहती हैं कि वे न केवल सनातन परंपरा को जानें, बल्कि इसी समाज में रहकर हिंदू धर्म की रक्षा भी करें। छोटी बेगम अब तक इस्लाम धर्म के मुताबिक कार्य करती थीं।
उनका कहना है कि वे किन्नर समाज की प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से इतनी प्रभावित हुईं कि न केवल उन्होंने अपना धर्म पीछे छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया, बल्कि अब वह कल्याणी नाम से पहचानी जाती हैं।
छोटी बेगम उर्फ कल्याणी इस कुंभ में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने जा रही हैं जो एक महत्वपूर्ण पद है। हर समय भारी भरकम आभूषणों से लदी रहने वाली कल्याणी उर्फ छोटी बेगम किन्नर समुदाय के बीच काफी चर्चित हैं। बुधवार रात उन्होंने छावनी में प्रवेश किया है।
किन्नर ही नहीं महिलाएं भी हो रहीं किन्नर अखाड़े में शामिल
किन्नर अखाड़े में केवल किन्नर ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी बड़ी तादाद में शामिल हैं। इस अखाड़े में किन्नरों के साथ उन महिलाओं को भी पूरा सम्मान दिया जाता है जो इससे जुड़ना चाहती हैं। अखाड़े द्वारा बनाई जा रही 11 महामंडलेश्वरों में इस बार महिलाएं भी शामिल हैं।
किन्नर अखाड़े में किन्नरों के साथ इस बार वे महिलाएं भी शामिल होंगी जो किन्नर नहीं हैं। दिल्ली की रहने वाली रामेश्वरी नंद गिरी ऐसी ही महिला हैं जो इस अखाड़े के साथ जुड़ी हैं। अखाड़े के प्रति इनकी निष्ठा को देखते हुए इस बार बनाए जाने वाले 11 महामंडलेश्वरों में उनका नाम भी शामिल है।
इस बार वे भी महामंडलेश्वर पद पर आसीन होंगी। उनका कहना है कि वह इस अखाड़े से इसलिए जुड़ी हैं क्योंकि अखाड़े में रहकर सभी न केवल श्रृंगार कर सकती हैं बल्कि परिवार के साथ रह कर भगवान की आराधना और हिंदू धर्म की अलख जगा सकती हैं।
उन्होंने कहा कि वह किसी और अखाड़े में भी शामिल हो सकती थीं लेकिन किन्नर समाज से आने वाली महामंडलेश्वर संतों के विचार बेहद अलग होते हैं। अपने परिवार से सलाह मशवरा करके ही इस अखाड़े में शामिल होने का मन बनाया है। अन्य अखाड़ों से उन्हें किन्नर अखाड़ा अधिक सुरक्षित लगता है।
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