Uttar Pradesh

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर चलने वाले वाहनों पर NHAI ने लगाई ये रोक

देश में पिछले कुछ दशकों में एक्सप्रेसवे का जाल बिछता जा रहा है. एक्सप्रेसवे बनने से गाड़ियों की रफ्तार तेज हो गई है और अपने गंतव्य तक पहुंचने में अब काफी समय की बचत होने लगी है. यहां तक की माल ढुलाई में भी काफी कम समय लगने लगा है.

नई दिल्ली: Delhi-Mumbai expressway speed limit: देश में पिछले कुछ दशकों में एक्सप्रेसवे का जाल बिछता जा रहा है. एक्सप्रेसवे बनने से गाड़ियों की रफ्तार तेज हो गई है और अपने गंतव्य तक पहुंचने में अब काफी समय की बचत होने लगी है. यहां तक की माल ढुलाई में भी काफी कम समय लगने लगा है. लेकिन अमूमन देखा जाता है कि एक्सप्रेसवे पर कई ऐसे वाहन भी दौड़ने लगते हैं जो या तो अन्य भागते वाहनों के लिए खतरा है या खुद के लिए खतरा है. कुछ टूव्हीलर भी दौड़ रहे होते हैं जिनकी जान हमेशा जोखिम में रहती है.

अब एनएचएआई यानी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इस दिशा में कुछ कदम उठाने का निर्णय लिया है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी NHAI ने कुछ समय पहले शुरू किए गए दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के कुछ हिस्से पर ऐसे वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी है, जो धीमी गति से चलते हैं या जिनकी तेज गति से आने वाले वाहनों से टक्कर होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं. प्राधिकरण ने दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के नए लॉन्च किए गए फेज़-1 में मोटरसाइकिल और स्कूटर, तिपहिया, गैर-मोटर चालित वाहनों और ट्रेलरों के साथ या बिना ट्रैक्टर सहित दोपहिया वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी है.

NHAI ने इस पर गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर कहा है कि तेज गति वाले वाहनों की आवाजाही से तुलनात्मक रूप से धीमी गति से चलने वाले वाहनों की कुछ श्रेणियों की सुरक्षा को खतरा रहता है. “उच्च गति वाले वाहनों की आवाजाही तुलनात्मक रूप से धीमी गति से चलने वाले वाहनों के कुछ वर्गों की सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा कर सकती है जैसे दो पहिया, तिपहिया और अन्य धीमी गति से चलने वाले वाहन जैसे गैर-मोटर चालित वाहन, कृषि ट्रैक्टर (ट्रेलर के साथ या बिना) आदि.”

विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि इस एक्सप्रेसवे को हाई-स्पीड कॉरिडोर के रूप में विकसित किया गया था और एक्सप्रेसवे के लिए विभिन्न प्रकार के मोटर वाहनों के लिए अधिकतम गति सीमा अधिसूचित की गई है, जो 80 किमी/घंटा से 120 किमी/घंटा के बीच है. 

इसी अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि इस एक्सप्रेसवे के विकास से पहले स्थानों को जोड़ने/विभिन्न गंतव्य बिंदुओं तक पहुंचने के लिए जनता के लिए वैकल्पिक मार्ग और सड़कें उपलब्ध थीं और हैं. उल्लेखनीय है कि दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-दौसा-लालसोट का पहला पूर्ण हिस्सा, 12 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था. यह दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के 246 किलोमीटर लंबे दिल्ली-दौसा-लालसोट हिस्से को 12,150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है. बता दें कि दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे 1,386 किमी की लंबाई के साथ भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा. जानकारी दें कि यह एक्सप्रेसवे 6 राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा और कोटा, इंदौर, जयपुर, भोपाल, वडोदरा और सूरत जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ेगा.

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