भारत–अमेरिका व्यापार संबंधों में नई दिशा: चार दिवसीय वार्ता के बाद अंतरिम समझौते की तैयारी

नई दिल्ली, 11 जून 2025 — भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों को नया आयाम देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हुई है। 4 से 10 जून के बीच नई दिल्ली में आयोजित चार दिवसीय गहन वार्ता के बाद दोनों देश एक अंतरिम व्यापार समझौते के बेहद करीब पहुंच चुके हैं। इस बातचीत में दोनों पक्षों ने प्रमुख मुद्दों पर सकारात्मक रुख दिखाया और कई विवादास्पद बिंदुओं पर भी संतुलित सहमति की ओर बढ़े।
वार्ता के प्रमुख बिंदु:
1. बाज़ार पहुंच (Market Access):
औद्योगिक वस्तुओं के साथ-साथ कुछ विशेष कृषि उत्पादों को लेकर दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने व्यापक विचार-विमर्श किया। अमेरिका ने भारत से गेहूं, मक्का और डेयरी जैसे कृषि उत्पादों के लिए बाजार खोलने की मांग की, जबकि भारत ने अमेरिका की हाई-एंड उत्पादों — जैसे अल्मंड, पिस्ता और अखरोट — पर सीमित टैरिफ कटौती की पेशकश की।
2. टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं:
वार्ता में डिजिटल व्यापार को सरल बनाने, कस्टम प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, SPS (Sanitary and Phytosanitary) और TBT (Technical Barriers to Trade) जैसे गैर-टैरिफ मुद्दों पर भी सहमति बनी। अमेरिका ने डेटा फ्लो और डिजिटल नियमों में ढील की मांग रखी, जिस पर भारत ने संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता दिखाई।
3. कठिन मसले:
कुछ विवादास्पद मुद्दों पर अभी भी सहमति नहीं बन पाई है। इनमें प्रमुख हैं –
- भारत द्वारा 10% बेसलाइन टैरिफ हटाने की मांग, जिसे अमेरिका ने अस्वीकार कर दिया।
- भारत की स्टील निर्यात पर 50% टैरिफ हटाने की मांग भी अमेरिकी पक्ष द्वारा लंबित रखी गई है।
संभावित समझौता और समयसीमा:
दोनों देशों ने जून 2025 के अंत तक एक प्रारंभिक/अंतरिम व्यापार समझौता करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसका उद्देश्य है राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा लगाए गए 90 दिनों की टैरिफ रोक (जो 9 जुलाई को समाप्त हो रही है) से पहले कोई ठोस रूप देना, ताकि भारतीय उत्पादों को भारी शुल्क से बचाया जा सके।
इसके बाद वार्ता का अगला चरण होगा, जिसमें कृषि बाज़ार, ऑटो क्षेत्र और सप्लाई चेन में सुधार जैसे जटिल मुद्दों को शामिल किया जाएगा। इसका लक्ष्य सितंबर–अक्टूबर 2025 तक एक पूर्ण व्यापार समझौते पर पहुँचना है।
व्यापारिक लाभ और दबाव:
भारत की निर्यात स्थिति इस वर्ष बेहतर रही है। जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच भारत ने अमेरिका को ₹37.7 बिलियन के उत्पाद निर्यात किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 28% अधिक है। वहीं आयात ₹14.4 बिलियन रहा, जिससे भारत को व्यापारिक संतुलन मिला।
हालांकि, समझौते में देरी की स्थिति में अमेरिका 26% रेट्रोएक्टिव टैरिफ फिर से लागू कर सकता है, जो भारतीय चावल, वस्त्र, झींगा और फुटवियर उद्योग को प्रभावित करेगा।
निष्कर्ष:
भारत और अमेरिका के बीच यह प्रस्तावित व्यापार समझौता न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूती देगा, बल्कि भारतीय निर्यातकों और उपभोक्ताओं के लिए भी बड़ी राहत बन सकता है। जून अंत तक इस दिशा में कोई औपचारिक घोषणा अपेक्षित है।
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