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मुजफ़्फ़रनगर: ‘सिर्फ़ 200 रुपये’ के लिए संजीव वाल्मीकि की हत्या का क्या है पूरा मामला

राजधानी दिल्ली से क़रीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फ़रनगर ज़िले के राजपुर कलां गांव में महज ‘200 सौ रुपये के उधार’ को लेकर हुए विवाद में एक दलित युवक की हत्या कर दी गई.

इस हमले में एक युवक समेत दो बच्चे भी घायल हुए हैं. ये घटना मंगलवार शाम की है. मुज़फ़्फरनगर पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया है.

इस हमले में घायल मोहित वाल्मीकि ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, “हमारे घर पर आकर गोली चलाई गई. हम वाल्मीकि समाज से हैं और हमलावर जाट हैं. इस गोलीबारी में मेरे बड़े भाई की मौत हो गई है और उसके दो बच्चे घायल हैं.”

विवाद की वजह पर मोहित ने बताया, “हमारा उनसे कोई विवाद नहीं था. हमलावर मोहित चौधरी ने मुझसे कहा कि तूने दो सौ रुपये उधार लिए हैं, वो वापस कर, मैंने उधार लिया भी नहीं था फिर भी दो सौ रुपये उसे दे दिया. लेकिन वो फिर दो-तीन लोगों के साथ हथियार लेकर वापस आया और गोली चला दी.”

मुज़फ़्फ़रनगर पुलिस के मुताबिक हमले में इस्तेमाल की गई बंदूक लाइसेंसी हथियार थी जबकि इसके अलावा एक अवैध हथियार भी इस्तेमाल किया गया. जानसठ के क्षेत्राधिकारी शकील अहमद ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि हमले में शामिल दोनों ही हथियार बरामद कर लिए गए हैं.

वहीं, इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए मुज़फ़्फ़रनगर के एसपी देहात अतुल श्रीवास्तव ने कहा, “जानसठ थाना के राजपुर कलां गांव में दो सौ रुपये के लेनदेन को लेकर गोली चली जिनमें एक की मौत हो गई है और तीन घायल हैं जो ख़तरे से बाहर हैं.”

पुलिस ने बुधवार को दो अभियुक्तों मोहित चौधरी और उसके पिता राजेंद्र चौधरी को गिरफ़्तार कर लिया.

गिरफ़्तार किए गए मोहित चौधरी 2013 में मुज़फ्फ़रनगर दंगों से पहले हुए कवाल हत्याकांड में मारे गए सचिन चौधरी की बहन रितु चौधरी के पति हैं.

कवाल गांव में सचिन और गौरव की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दिए जाने के बाद मुजफ़्फ़रनगर में तनाव फैल गया था और ये ज़िला सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलस गया था.

इस दंगे में 60 से अधिक लोग मारे गए थे और दसियों हज़ार लोगों को पलायन करना बड़ा था.

मंगलवार शाम को क्या हुआ था?

हमले में मारे गए संजीव वाल्मीकि के घायल भाई मोहित वाल्मीकि का दावा है कि हमलावर मोहित चौधरी ने बेवजह झगड़ा किया.

मोहित ने बताया, “मैं अपने घर के पास ही था जब मोहित चौधरी ने मुझसे उधार के दो सौ रुपये मांगे, उसे टालने के लिए मैंने पैसे दे दिए लेकिन वो फिर भी उलझ गया. कहासुनी हुई तो वो देख लेने की धमकी देकर गया और कुछ ही देर में हथियार लेकर अपने पिता और चाचा के साथ लौटा.”

मोहित दावा करते हैं, “आते ही उन्होंने गाली गलौज की और अंधाधुंध गोलियां चला दीं. मेरे भाई को तीन गोली लगीं, बच्चे और मैं भी घायल हो गया.”

राजपुर कलां एक जाट बहुल गांव है जहां गिने-चुने दलित परिवार रहते हैं. गांव में जाट समुदाय के लोग बड़े किसान हैं और दलित और भूमिहीन लोग उनके खेतों पर मेहनत मज़दूरी करते हैं.

राजपुर कलां में अभियुक्त के परिवार से जुड़े लोगों, पीड़ित परिवार से जुड़े लोगों और आम लोगों से बात करके ये पता चला कि मृतक और अभियुक्त के बीच पहले से कोई विवाद नहीं था. मामूली बात पर कहासुनी हुई जिससे शुरू हुए झगड़े में एक युवक की जान चली गई.

घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस घायलों को लेकर अस्पताल पहुंची थी जहां पहुंचने से पहले ही संजीव वाल्मीकि की मौत हो गई थी.

जानसठ के सामुदायिक केंद्र में तैनात डॉक्टर नदीम बताते हैं, “मंगलवार शाम 8 बजकर 40 मिनट पर चार लोगों को पुलिस अस्पताल लेकर आई थी. इनमें से एक की मौत हो गई थी जबकि तीन घायल हैं जिनमें दो बच्चे हैं. एक बच्ची आठ साल की है और एक बच्चा 4 साल का है. दोनों बच्चों के पैरों में गोली लगी थी, जिनका इलाज किया गया.”

क्या कहना है अभियुक्त परिवार का?

हत्या की इस घटना के बाद राजपुर कलां गांव में सन्नाटा पसरा है. लोग इस बारे में बात करने से बचते हैं. सुरक्षा के लिए पुलिस बल भी तैनात किए गए हैं.

अभियुक्त के घर पर ताला लटका है और परिवार के अधिकतर लोग भी फ़रार हैं. अभियुक्त के परिवार के जो लोग मौजूद हैं वो अब इस घटना पर अफ़सोस ज़ाहिर करते हैं.

मुख्य अभियुक्त मोहित चौधरी के परिवार से संबंधित अमित कुमार कहते हैं, “जो घटना हुई है वो नहीं होनी चाहिए थी, मोहित अपने उधार के पैसे मांगने गया था लेकिन उसके साथ अभद्र व्यवहार किया गया जिसे वो सहन नहीं कर पाया. वहां से लौटकर उसने घर पर बताया तो यहां से लोग गए लेकिन उन पर हमला किया गया तो बचाव में उन्हें गोली चलानी पड़ी. इसे से युवक की मौत हो गई.”

क्या झगड़ा दो सौ रुपये के विवाद पर ही हुआ?

हमले में घायल मोहित वाल्मीकि का कहना है कि झगड़ा दो सौ रुपये के उधार को लेकर शुरू हुआ था.

पुलिस ने भी अपने पहले बयान में घटना की वजह दो सौ रुपये के उधार को लेकर शुरू हुआ विवाद बताया है.

हालांकि अभियुक्त के परिवार के लोग दावा करते हैं कि उधार का पैसा इससे कहीं ज़्यादा है.

नाम ना ज़ाहिर करने की शर्त पर पड़ोस के शख़्स ने दावा किया, “ये पता चला है कि मोहित चौधरी ने खेतों में काम करने के बदले इन लोगों को एडवांस पैसा दिया था, उसे वापस मांगा तो ये विवाद शुरू हो गया.”

वहीं, इस घटना की जांच से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, “पीड़ित परिवार ने दो सौ रुपये के उधार का झगड़ा बताया है, लेकिन अभियुक्त ने पूछताछ में ये दावा किया है कि उधार के पैसे इससे बहुत ज़्यादा हैं, हालांकि अभी ये जांच का विषय है.”

किस हाल में है मृतक का परिवार

इस हमले में मारे गए संजीव वाल्मीकि दिहाड़ी मज़दूर थे. उनका परिवार कच्चे मकान में रहता है. हमले के बाद से ही ये परिवार दहशत हैं.

संजीव के दो बच्चों को गोली के छर्रे लगे हैं. इनमें एक बेटा और एक बेटी है वे अब अस्पताल से घर आ गए हैं. दोनों ही बच्चे दहशत में हैं.

परिवार की आर्थिक हालत बहुत ख़राब है. संजीव की मौत के बाद उनके परिवार पर संकट पैदा हो गया है क्योंकि वो अकेले कमाने वाले थे.

मोहित कहते हैं, “इस हमले के बाद हम सब डरे हुए हैं. परिवार के सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है.”

अपराध का गढ़ रहा है मुज़फ़्फ़रनगर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मुज़फ़्फ़रनगर ज़िला अपराध का गढ़ रहा है.

मुज़फ़्फ़रनगर के वरिष्ठ पत्रकार राकेश शर्मा कहते हैं कि अब हत्या जैसी घटनाएं कुछ कम ज़रूर हुई है और अपराध का ग्राफ़ गिरा है लेकिन फिर आवेश में या गुस्से में हमले की ख़बरें आती रहती हैं.

राकेश शर्मा कहते हैं, “एक दौर था जब मुज़फ़्फ़रनगर को क्राइम कैपिटल कहा जाता था, लेकिन बीते कुछ सालों में अपराध का ग्राफ़ कम हुआ है. एक दौर था जब यहां दस रुपये के लिए या रिक्शे से उतरने को लेकर विवाद पर क़त्ल हो जाते थे. बहुत मामूली विवादों में यहां ख़ून बहाया जाता रहा है. लेकिन बीते कुछ सालों में अपराध ख़ासकर हत्या जैसे अपराध कम हुए हैं.”

शर्मा कहते हैं, “हालांकि रंजिश, उतावले पन और आक्रोश में की जा रही हत्याएं अब भी हो रही हैं, पुलिस लूटपाट जैसे अपराध कम कर सकती है, लेकिन इस तरह की हत्याओं को रोकना मुश्किल है. यही वजह है कि प्रशासन के सख़्त होने के बावजूद ऐसी घटनाएं सामने आ ही जाती हैं.”

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