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पेपर लीक, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार के मुद्दों को विधानसभा में उठाएगी कांग्रेस- हुड्डा

चंडीगढ़, 28 फरवरी । पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि कांग्रेस आने वाले विधानसभा सत्र में पेपर लीक, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार के मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठेगी। क्योंकि एक के बाद एक पेपर लीक हो रहे हैं और बीजेपी पेपर लीक माफिया को संरक्षण दे रही है। इस सरकार के दौरान बोर्ड की परीक्षाओं से लेकर भर्ती तक हरेक पेपर में घोटाले हुए हैं। लेकिन अब तक किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। एक के बाद एक घोटाले उजागर हो रहे हैं। यहां तक कि हाईकोर्ट ने खनन घोटाले पर सरकार को आइना दिखाया है। बावजूद इसके सरकार कितने बड़े घोटाले पर पर्दा डालने में लगी है। भ्रष्टाचार की तरह प्रदेश में बेरोजगारी और अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

हुड्डा अपने आवास पर पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आने वाले बजट से जनता को कोई उम्मीद नहीं है। क्योंकि पिछले 10 साल में बीजेपी ने प्रदेश पर कर्ज बढ़ाने के अलावा कोई काम नहीं किया। बीजेपी ने अब तक अपने किसी भी चुनावी वादे को अमलीजामा नहीं पहनाया। 10 साल के कार्यकाल में बीजेपी ने हरियाणा में ना कोई बड़ा उद्योग, ना ही कोई बड़ी परियोजना, ना कोई बड़ी यूनिवर्सिटी, ना कोई मेडिकल कॉलेज या अन्य बड़ा संस्थान स्थापित किया। लगातार भाजपा जनता के विश्वास पर कुठाराघात कर रही है।

निकाय चुनाव पर प्रतिक्रिया देते हुए हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने बैलेट पेपर से वोटिंग करवाने की मांग की थी। लेकिन इसके विपरीत चुनाव आयोग ने ईवीएम से वीवीपीएटी को भी हटा दिया, जो सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की उल्लंघना है। आज अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी बैलेट पेपर से चुनाव होते हैं। क्योंकि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मशीन पर को मैनुपुलेट किया जा सकता है। ऐसे में भारत में भी बैलट पेपर से चुनाव होने चाहिए।

इस मौके पर हुड्डा ने पीएम फसल बीमा योजना के तहत होने वाले भुगतान में आई गिरावट पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि योजना तहत बीमा दावों के भुगतान पर में साल 2023-24 के दौरान 90% की भारी गिरावट हुई है। साल 2022-23 में हरियाणा के किसानों को ₹2,496.89 करोड़ का भुगतान हुआ, लेकिन 2023-24 में सिर्फ ₹224.43 करोड़ ही मिला। इसी तरह देशशभर में किसानों के बीमा दावों का भुगतान 2022-23 के ₹18,211.73 करोड़ से घटकर 2023-24 में ₹15,504.87 करोड़ रह गया है। एकबार फिर स्पष्ट हो गया है कि फसल बीमा योजना किसानों को लूटकर निजी बीमा कंपनियों की तिजोरी भरने की योजना है।

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