जानें, ज्येष्ठ महीने में क्या करें और किन चीजों से करें परहेज
सनातन धर्म में ज्येष्ठ महीने का विशेष महत्व है। धार्मिक शास्त्रों में निहित है कि ज्येष्ठ महीने के पहले मंगलवार के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम अपने अनन्य और परम भक्त हनुमान जी से मिले थे। अतः ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाले हर मंगलवार को बड़ा मंगल कहते हैं। ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। इस दिन न्याय के देवता शनि देव का जन्म हुआ है। इस महीने में धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं, तो कई कार्य करने की मनाही होती है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
क्या करें
– ज्येष्ठ महीने में तिल का दान करना शुभ होता है। इससे अकाल मृत्यु का खतरा भी टल जाता है। ऐसा करने से जगत के पालनहार भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
– ज्येष्ठ के महीने में तिल, तांबा और गुड़ का दान करना चाहिए। इससे मंगल दोष का प्रभाव भी क्षीण होता है।
ज्येष्ठ महीने में भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। इससे करियर और कारोबार में सफलता मिलती है।
– इस महीने में घड़े का दान करें। साथ ही राहगीरों को शरबत पिलाएं।
क्या न करें
– ज्येष्ठ माह में बैंगन का सेवन करने की मनाही है। ऐसा करने से दोष और रोग उत्पन्न होता है। ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ महीने में बैंगन का सेवन करने से संतान पर अशुभ प्रभाव पड़ता है। इसके लिए ज्येष्ठ महीने में बैंगन का सेवन भूलकर भी न करें।
– ज्येष्ठ महीने में चटपटी और तली भुनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे पेट संबंधी परेशानियों होती हैं।
– ज्येष्ठ महीने में कभी घर आये व्यक्ति को बिना पानी पिलाए नहीं भेजना चाहिए। समय मिलने पर राहगीरों को भी पानी पिलाएं।
– ज्येष्ठ माह में बड़े पुत्र या पुत्री की शादी नहीं करनी चाहिए। अगर विवाह करते हैं, तो जातक पर अशुभ प्रभाव पड़ता है।
– जानकारों की मानें तो ज्येष्ठ के महीने में शरीर में तेल नहीं लगाना चाहिए।
– ज्येष्ठ माह में दिन के समय में कभी नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से किसी बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं।
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