Politics

सुशील गुप्ता और नवीन जिंदल दोनों सांसद रहे लेकिन कभी किसानों की आवाज नहीं उठाई और न ही कभी उठाएंगेः गुरनाम सिंह चढूनी

80 प्रतिशत वोट किसान व कमेरे वर्ग की है तो देश पर राज पूंजीपतियों का क्यों है? 80 प्रतिशत वोट वाला भिखारी क्यों है? जिंदल और गुप्ता दोनों पूंजीपति हैं लेकिन क्या जिंदल व गुप्ता मजदूरी, खेती बारे जानते हैं? क्या उन्होंने कभी खेतों में काम कर रहे किसानों की पीड़ा को महसूस किया है?

लोगों से की अपील, पूंजीपतियों की बजाए किसानों के मसीहा अभय चौटाला को भेजें संसद में

कुरुक्षेत्र। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि देश में पैसे से सत्ता और सत्ता से पैसे का रिवाज चल गया है। एक प्रतिशत लोगों के पास देश की 40 प्रतिशत प्रॉपर्टी है। सत्ता भी उनके हाथ में है। पैसा भी उनके हाथ में है और प्रॉपर्टी व आम आदमी की गर्दन भी उनके हाथ में है। इसलिए संसद में पूंजीपतियों की बजाए किसानों के मसीहा अभय चौटाला को संसद में भेजें। ताकि देश में हर रोज 33 किसान कर्ज में मर रहे हैं, उन्हें बचाया जा सके। सत्ता में आए पूंजीपति लोग अपने कर्ज माफ करते हैं। सुशील गुप्ता राज्यसभा के सांसद थे और नवीन जिंदल भी सांसद थे, दोनों ने कभी किसानों की मदद की। इन दोनों के पास पैसा है। कोई योग्यता नहीं है। क्या जिंदल व गुप्ता मजदूरी, खेती बारे जानते हैं। क्या उन्होंने कभी खेतों में काम कर रहे किसानों की पीड़ा को महसूस किया है। गुप्ता राजनीति में इसीलिए आए हैं कि और ज्यादा पैसा कमा सकें। जिंदल राजनीति में इसलिए आए हैं कि कोयला घोटाले में ईडी से बचा जा सके। इस राजनीति का व्यापारीकरण हो गया है जिसके कारण देश की रेल बिक गई, देश के हवाई अड्डे बिक गए। बैंक, कंपनियां, प्राकृतिक संपत्ति बिक गई है। लोगों को कांग्रेस-भाजपा के चक्कर से बाहर आना चाहिए और अभय चौटाला जैसे किसान व किसानी को समझने वाले नेता को सांसद बनाना चाहिए। जनसंपर्क अभियान में चढ़ूनी ने अभय के लिए वोट की अपील करते हुए कहा कि आपके पास एक अवसर आ रहा है कि आप किसे चुनेंगे। आपके सामने जो उम्मीदवार हैं, वे दो बड़े पूंजीपति हैं और एक किसानों की आवाज अभय चौटाला है। चढ़ूनी ने कहा कि विरोधी कहते हैं कि किसान यूनियन ने चौटाला को समर्थन भाजपा की मदद के लिए दिया है लेकिन मैं बता दूं कि हमने अभय चौटाला का समर्थन जीतने के लिए किया है। किसान आंदोलन में साथ देने, किसानों की आवाज उठाने के लिए अभय चौटाला का समर्थन किया है। यदि अभय चौटाला जीत जाते हैं तो किसानों को लाभ होगा। चढ़ूनी ने कहा कि 80 प्रतिशत वोट किसान व कमेरे वर्ग की है तो देश पर राज पूंजीपतियों का क्यों है? 80 प्रतिशत वोट वाला भिखारी क्यों है? 2014 में किसान वर्ग ने सोचा कि कांग्रेस को हराओ और भाजपा को जिताओ। आज लोग कहते हैं कि भाजपा को हराओ और कांग्रेस को जिताओ। जब पहले ही कांग्रेस ने कुछ नहीं किया तो आज कांग्रेस को क्यों जिताएं। अभय चौटाला जैसे नेता को क्यों नहीं जिताएं, जो किसानों के लिए इस्तीफा दे कर भी उनके साथ खड़े हैं। किसानों को किसानों के नेता अभय चौटाला का साथ देना चाहिए और वे अभय के साथ हैं। भाजपा-कांग्रेस के चक्कर से बाहर आएं। यदि किसानों का प्रतिनिधित्व नहीं होगा तो आने वाले समय में न तो जमीन बचेगी और न ही किसान बचेगा। इसीलिए अपनी फसल बचानी है तो किसान नेता अभय चौटाला को जितवाएं। आपको अभय को जितवाकर अपने लिए वोट डालनी है। जो अपनी मदद नहीं करता, भगवान भी उसकी मदद नहीं करता। अपनी मदद खुद करें। अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए अभय चौटाला को वोट डालें।

विकसित भारत की झूठी गारंटी नहीं, यह बताएं कि दस साल में क्या कियाः अभय सिंह चौटाला

किसानों की जमीन को ही पूंजीपतियों को देने के लिए काले कानून बना दिए, यदि वे लागू हो जाते तो जमीनें छीन ली जाती और किसान अपनी ही जमीन में नौकर बनकर काम करने को मजबूर हो जाता

आज भाजपा राज में बेरोजगारी के कारण युवा विदेशों में जा रहे हैं और उनके मां-बाप अकेले गुजारा करने को मजबूर

कुरुक्षेत्र। अपने चुनावी जनसंपर्क अभियान में अभय सिंह चौटाला ने कहा कि भाजपा यह कहकर वोट नहीं मांग रही कि दस साल में किन-किन वायदों को पूरा किया है। केवल मोदी की गारंटी के नाम पर वोट मांग रही है। भाजपा के पास दस साल में किए काम के बारे में कुछ भी बताने को नहीं है। विकसित भारत के झूठे वायदे की बजाए भाजपा यह बताए कि दस साल में किया क्या है? विकसित भारत तभी बनेगा, जब हमारी सीमाएं मजबूत होंगी। सीमाएं फौजी से मजबूत होती हैं। भाजपा ने फौज को ही गिरवी रख दिया। सेना में फौजी को महज चार साल का कार्यकाल दिया जा रहा है। जिससे फौज को खत्म ही किया जा रहा है। चार साल का अग्निवीर बना दिया। चार साल बाद बच्चा रिटायर हो जाएगा। न तो उसे पेंशन और न ही कोई अन्य सुविधा दी जाएगी। हरियाणा में बच्चों को फौज से रोजगार मिलता था। फौज के बाद जमीन से रोजगार चलता है। इस जमीन को ही पूंजीपतियों को देने के लिए काले कानून बना दिए। यदि वे लागू हो जाते तो जमीनें छीन ली जाती और किसान अपनी ही जमीन में नौकर बनकर काम करने को मजबूर हो जाता। उनके सामने चुनाव लड़ रहे भाजपा व आप के जो प्रत्याशी कुरुक्षेत्र सीट पर उनके सामने चुनाव लड़ रहे हैं तो उनका किसानों से कोई सरोकार नहीं है। ये वे लोग हैं, जिनके अपने प्राइवेट जहाज हैं। जिनके विदेशों में बड़े-बड़े कारखाने हैं। ये तो चुनाव इसीलिए लड़ते हैं कि सरकार में उनकी पैठ बनें। उनकी पैठ बन जाए तो सरकार में शामिल होकर अपने कारोबार को बढ़ाते हैं। अगर किसान की लड़ाई किसी ने लड़ी है और खेती किसी ने की है तो ताऊ देवीलाल ने की। ओमप्रकाश चौटाला ने गांव में रहने वाले लोगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने का प्रयास किया। अभय चौटाला ने कहा कि आप खुद तो वोट दें ही, साथ में अपने सगे-संबंधियों को भी इनेलो को वोट के लिए राजी करें। सरकार ने 13 माह तक जब किसानों की नहीं सुनीं तो अब सरकार को बदलने का किसानों के पास अवसर है।
भाजपा ने किसान की सुनने की बजाए हजारों करोड़ का कर्ज लेकर विदेशों में भाग गए दस से अधिक भगौड़ों की मदद की है। बेरोजगारी की स्थिति यह है कि हर गांव से सैकड़ों बच्चे विदेशों में जा रहे हैं। जिस कारण लोगों की स्थिति काफी दयनीय बनी हुई है। मां-बाप यहां अकेले रहते हैं। यदि वे बीमार हो जाएं तो उन्हें दवा दिलवाने वाला नहीं है। इसीलिए भाजपा-कांग्रेस से मुक्ति का रास्ता लोकसभा चुनाव है। इसमें इनेलो को चश्मे के सामने का बटन दबाकर विजयी बनाएं।

Related Articles

Back to top button
Event Services