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भारत ने इंडोनेशिया के खिलाफ WTO में की शिकायत

भारत ने इंडोनेशिया द्वारा कपास के कपड़े (Cotton Fabric) पर शुल्क लगाने के प्रस्ताव को लेकर विश्व व्यापार संगठन (WTO) में औपचारिक परामर्श (Consultation) की मांग की है। भारत का मानना है कि यह कदम उसके वस्त्र उद्योग और निर्यात पर गंभीर असर डाल सकता है।

भारत की चिंता

भारत दुनिया के सबसे बड़े कपास उत्पादक और निर्यातक देशों में से एक है। इंडोनेशिया भारतीय कपास कपड़े के लिए एक बड़ा बाजार है। यदि इंडोनेशिया अतिरिक्त शुल्क लगाता है, तो भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति कमजोर हो सकती है और निर्यात घट सकता है।

WTO प्रक्रिया

WTO के नियमों के अनुसार, किसी भी व्यापारिक विवाद के समाधान के लिए पहले सदस्य देश परामर्श चरण से गुजरते हैं। अगर इस स्तर पर सहमति नहीं बनती है, तो मामला औपचारिक विवाद निपटान पैनल तक पहुँच सकता है।

सरकार का बयान

भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
“हम इंडोनेशिया के साथ बातचीत कर समाधान निकालना चाहते हैं। लेकिन यदि यह शुल्क लागू किया गया, तो यह WTO के नियमों और निष्पक्ष व्यापार सिद्धांतों का उल्लंघन होगा।”

वस्त्र उद्योग की प्रतिक्रिया

भारतीय टेक्सटाइल उद्योग ने सरकार के कदम का समर्थन किया है। उद्योग जगत का कहना है कि यदि समय रहते इस मुद्दे को नहीं सुलझाया गया तो लाखों लोगों की आजीविका पर असर पड़ सकता है, खासकर छोटे और मध्यम स्तर के निर्यातकों पर।

आर्थिक महत्व

भारत का कपास और कपड़ा निर्यात हर साल अरबों डॉलर का होता है। इंडोनेशिया इस निर्यात में एक प्रमुख साझेदार है। व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि यदि विवाद गहराया तो यह दोनों देशों

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