जलवायु परिवर्तन से संकट में हिमालय, इसकी सुरक्षा और सार्थकता की चिंता अन्य सभी को भी करनी चाहिए
पिछले कुछ वर्षों से सिक्किम की पहचान पर्यावरण और पारिस्थितिकी के मोर्चे पर संतुलित राज्य के रूप में रही है। यह पर्यटन का एक ऐसा स्थल रहा है जहां लोग सुरक्षित रूप से पहाड़ी इलाके का आनंद ले सकते हैं। इतना ही नहीं सिक्किम का राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक ढांचा भी अपने आप में हिमालय के लिए बहुत बड़ा प्रयोग रहा है जिसे कई रूप में जाना जाता रहा है।
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अनिल प्रकाश जोशी। देश हिमाचल प्रदेश की त्रासदी को अभी भुला भी नहीं पाया था कि हिमालय के दूसरे छोर पर स्थित पूर्वोत्तर में सिक्किम को भी उतनी ही बड़ी त्रासदी की मार झेलनी पड़ी। इन दोनों राज्यों में एक समानता है कि ये हिमालय पर स्थित हैं। इन त्रासदियों का एक ही कारण अतिवृष्टि है, जो हिमालय में इन दिनों लगातार किसी न किसी रूप में आ रही है। इन दोनों ही जगहों पर हुई अतिवृष्टि की भी एक ही वजह जलवायु परिवर्तन है।
पिछले कुछ वर्षों से सिक्किम की पहचान पर्यावरण और पारिस्थितिकी के मोर्चे पर संतुलित राज्य के रूप में रही है। यह पर्यटन का एक ऐसा स्थल रहा है जहां लोग सुरक्षित रूप से पहाड़ी इलाके का आनंद ले सकते हैं। इतना ही नहीं सिक्किम का राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक ढांचा भी अपने आप में हिमालय के लिए बहुत बड़ा प्रयोग रहा है जिसे कई रूप में जाना जाता रहा है।
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