अय्याशी से लेकर टॉर्चर तक के लिए रुम किसी महल से कम नहीं था अतीक का दफ्तर
प्रयागराज:- कहने को यह माफिया अतीक का कार्यालय लेकिन सुविधाएं रंगमहल जैसी। पीडीए द्वारा कुछ हिस्सा तोड़े जाने और माफिया विरोधी अभियान के बावजूद किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि भवन में दाखिल हो जाए। अब इसी भवन के पिछले हिस्से से नकदी और हथियार बरामद होने के बाद जब पुलिस ने अंदर जाकर दोनों तल का मुआयना किया तो अय्याशी के संसाधनों को देख सभी हैरान रह गए।
कब्रिस्तान के सामने बना आलिशान कार्यालय
करबला में कब्रिस्तान के सामने सड़क के कोने में बड़े प्लाट पर बना है अतीक का आलीशान कार्यालय भवन। इस भवन को बसपा शासन के दौरान भी तोड़ा गया था। अतीक और अशरफ समेत ज्यादातर गुर्गे गिरफ्तार कर जेल में डाल दिए गए थे। फिर 2012 में प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो अतीक समेत गिरोह के सभी सदस्य जेल से रिहा होते गए।
पुलिस ने बरामद किए 10 हथियार और नकदी
चकिया कार्यालय को नए सिरे से बनाया गया और भव्य इमारत खड़ी कर दी गई। दो साल पहले माफिया विरोधी अभियान शुरू हुआ तो अतीक के खिलाफ एक्शन लेते हुए चकिया कार्यालय के अवैध हिस्से को जेसीबी से तोड़ा गया। अब उमेश पाल हत्याकांड के 25 दिन बाद मंगलवार शाम पुलिस ने इसी भवन के पिछले हिस्से में जमीन के नीचे गड्डे में छिपाकर रखे 10 हथियार और नकदी बरामद की तो पुलिस आयुक्त रमित शर्मा समेत अन्य अधिकारी पहुंचे।
भवन में अतीक के गुर्गों को होता है आना-जाना
किचन में बर्तन और राशन है। गैस चूल्हा और हीटर के साथ राशन सामग्री है। एक बर्तन में रोटी थी जो कुछ दिन पुरानी रही होगी। बगल के कमरे में सोफे और आलमारियां जिनमें सामान भरे हैं। इससे साफ है कि भले अतीक जेल में है और भवन में तोड़फोड़ की गई लेकिन उसमें गिरोह के खास लोगों का आना-जाना लगातार बना रहा है। भवन के निचले भाग में पीछे एक पेड़ और दो मजार भी है।
2006 में उमेश पाल को बनाया था बंधक
उनमें एक कमरे को टार्चर रूम बताया जाता है जहां अतीक के विरोधियों और रंगदारी देने से मना करने वाले कारोबारियों-ठेकेदारों को लाकर पीटा जाता था। फरवरी 2006 में उमेश पाल को भी इसी कमरे में बंधक बनाया गया था। फिर जबरन अदालत में ले जाकर राजू पाल हत्याकांड में अतीक ने उमेश से अपने पक्ष में गवाही करा ली थी।
किसी रंगमहल से कम नहीं माफिया का कार्यालय
इमारत का मुआयना कर वह भी दंग रह गए। जिसे माफिया का कार्यालय बताया जाता रहा, वह तो रंगमहल जैसा निकला। इमारत के सामने का हिस्सा और चहारदीवारी टूटी है लेकिन पिछले हिस्से के गेट से अंदर दाखिल होने में कोई दिक्कत नहीं। नीचे कांच से बना कार्यालय है जहां अतीक और अशरफ अलग-अलग बैठते थे। उसके पीछे टायलेट। फिर पीछे तीन कमरे में हैं।
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