‘सभी के पास स्वतंत्र रूप से बोलने का हक’, मणिपुर में कुकी समुदाय के लिए अलग DGP की मांग पर CM बीरेन सिंह
भाजपा के सात विधायकों सहित 10 कुकी विधायकों ने बुधवार को पीएम मोदी को एक ज्ञापन सौंपा था जिसमें अनुरोध किया गया कि मणिपुर के पांच पहाड़ी जिलों में अच्छे प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव और डीजीपी के समकक्ष पद स्थापित किए जाएं। जिन पांच जिलों के लिए अलग मुख्य सचिव और डीजीपी की मांग की गई है उनमें चुराचांदपुर कांगपोकपी चंदेल टेंग्नौपाल और फेरजावल शामिल हैं।
मणिपुर के कुकी विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूर्वोत्तर राज्य के कुकी बहुल पहाड़ी इलाकों के लिए एक अलग मुख्य सचिव और डीजीपी का अनुरोध किया था। इस पर अब राज्य के मुख्यमंत्री का बयान सामने आया है। सीएम एन बीरेन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि लोकतंत्र में खुलकर अपनी बात रखने के लिए हर कोई हकदार है।
सभी के पास बोलने का हकः सीएम
सद्भावना दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को स्वतंत्र रूप से बोलने का अधिकार है। हालांकि, मुख्यमंत्री के अलावा किसी और विधायक ने इस मुद्दे पर बात नहीं की।
सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा कि कुछ गलतफहमियों, निहित स्वार्थों की कार्रवाइयों और देश को अस्थिर करने की विदेशी साजिश के कारण राज्य में काफी जान-माल का नुकसान हुआ है। उन्होंने सभी से हिंसा रोकने और राज्य में शांति को वापस लाने का आग्रह किया।
कुकी विधायकों ने पीएम को लिखा पत्र
बता दें कि भाजपा के सात विधायकों सहित 10 कुकी विधायकों ने बुधवार को पीएम मोदी को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें अनुरोध किया गया कि मणिपुर के पांच पहाड़ी जिलों में अच्छे प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव और डीजीपी के समकक्ष पद स्थापित किए जाएं। जिन पांच जिलों के लिए अलग मुख्य सचिव और डीजीपी की मांग की गई है उनमें चुराचांदपुर, कांगपोकपी, चंदेल, टेंग्नौपाल और फेरजावल शामिल हैं।
कुकी विधायकों ने क्या मांग की?
कुकी विधायकों ने अपने ज्ञापन में दावा किया कि कुकी जनजातियों से संबंधित आईएएस, एमसीएस, आईपीएस और एमपीएस अधिकारी काम करने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं। इसके साथ ही विधायकों ने प्रधानमंत्री राहत कोष से 500 करोड़ रुपये की भी मांग की है, जिससे हिंसा में अपने घर और आजीविका खो चुके लोग पुनर्स्थापित हो सकें।
मणिपुर में तीन मई को शुरू हुई हिंसा
बता दें कि मणिपुर में तीन मई को कूकी या मैताई के बीच हिंसा की शुरुआत हुई थी। हिंसा में अभी तक काफी जान-माल का नुकसान हुआ है। जातीय संघर्ष में अब तक 150 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
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