लखनऊ-कानपुर सहित प्रदेश के 40 जिलों में बिपरजॉय चक्रवात का असर, 24 घंटे से हो रही बारिश

बिपरजॉय चक्रवात का असर कानपुर-लखनऊ सहित आसपास के जिलों में देखने को मिल रहा है। मंगलवार देर रात से शुरु हुई बारिश कानपुर में गुरुवार को भी जारी है। लगातार हो रही बारिश से जहां तापमान में करीब 8 डिग्री की गिरावाट दर्ज की गई है वहीं बारिश ने दुश्वारियां बढ़ा दी हैं। वहीं मानसून 1 जुलाई के बाद यूपी में पहुंचने की उम्मीद है।
लखनऊ-कानपुर सहित आसपास के जिलों में बिपरजॉय चक्रवात का असर देखने को मिल रहा है। मंगलवार देर रात से शुरु हुई बारिश बुधवार के बाद गुरुवार को भी जारी है। उत्तर पश्चिमी दिशा से 12 किमी प्रति घंटे की गति से हवा चली और अधिकतम तापमान में 8.8 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। पूरे दिन तेज गति से हवा चलने के साथ ही 44.6 एमएम वर्षा ने शहर को भिगोया। शहरवासियों ने गर्मी से राहत महसूस की।
हालांकि वर्षा से शहर के विभिन्न स्थानों पर जलभराव की स्थिति बनी रहने से लोगों को आवागमन में परेशानी हुई। सीएसए के मौसम विज्ञानी डा. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि बुधवार को अधिकतम तापमान 27.0 और न्यूनतम तापमान 26.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। बिपरजॉय चक्रवात के असर से 25 जून तक शहर में हल्की से मध्यम वर्षा होती रहेगी। उन्होंने बताया कि जून के पहले 15 दिन में सूखे जैसे हालात बने।
अब चक्रवात कमजोर पड़ा है और उत्तर प्रदेश सहित कानपुर मंडल में वर्षा के जरिये दस्तक दी है। बंगाल की खाड़ी से बने निम्न दबाव की वजह से जून माह के अंत तक कानपुर मंडल में मानसून सक्रिय हो जायेगा और वर्षा होगी। उन्होंने बताया कि दो दिन से हो रही वर्षा के बाद अब किसानों को फसलों में सिंचाई की जरूरत नहीं होगी। किसानों को सलाह दी जाती है कि वो पकी फसलों को खेतों से हटाकर सुरक्षित स्थान पर रख लें। रात 10 बजे तक 52.6 मिमी वर्षा का स्तर दर्ज किया गया।
वर्षा से किसानों के खिले चेहरे
बुधवार को पूरे दिन झमाझम वर्षा होने से किसानों के चेहरे खिले रहे। मंधना, कुरसौली, पेम, टिकरा के आसपास वर्षा होने से किसान खरीफ, धान की नर्सरी, मक्का, ज्वार के लिए तैयारी में जुट गए हैं। कुरसौली के किसान सौरभ सिंह, सुशील कुमार, नौरंगाबाद के रविशंकर तिवारी, सुरेश चंद्र मिश्र, छोटे लाल पाल, भउवापुर के लल्ली राजपूत, इटरा के मनोज मिश्रा ने बताया कि यह पानी नही अमृत की बरसात हुई है। क्योंकि गर्मी में बोई गई मक्का,ज्वार को पानी की आवश्यकता थी। धान की नर्सरी के लिए पानी बहुत जरूरी था। रजबहे आ नही रहे थे जिससे धान की नर्सरी में देरी हो रही थी। इससे फसल की तैयारी में देरी होने की आशंका थी। अब वर्षा से खेत का पानी एकत्रित कर नर्सरी की बुवाई शुरू हो जाएगी और अन्य फसलों की पानी की आवश्यकता की पूर्ति हो जायेगी।
सब्जियों और फलों के लिए लाभकारी है वर्षा
सीएसए कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डा. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि 44 मिमी से अधिक वर्षा होना सब्जियों और फसलों के लिए लाभकारी है। किसानों को फसलों में अलग से सिंचाई की जरूरत नहीं होगी। मक्का, उड़द, मूंग सहित अन्य सब्जियों और फलों के लिए ये वर्षा फायदेमंद हैं।
अन्य खबरों के लिए हमसे फेसबुक पर जुड़ें। आप हमें ट्विटर पर फ़ॉलो कर सकते हैं. हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब कर सकते हैं।
किसी भी प्रकार के कवरेज के लिए संपर्क AdeventMedia: 9336666601