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हृदय विफलता के रोगियों में है शिक्षा और जागरूकता का महत्वपूर्ण स्थान-हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ. पवन गोयल

बरेली: हृदय की विफलता एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हृदय रक्त को अच्छी तरह पंप करने में समर्थ नहीं होता है, जिससे गुर्दे जैसे जरूरी अंगों में सही तरीके से रक्त का प्रवाह नहीं होता है, और फेफड़े जैसे अंगों में तरल पदार्थ का निर्माण होता है। हृदय विफलता का मतलब ऐसा बिल्कुल नहीं है कि अब दिल ने धड़कना बंद कर दिया लेकिन यह स्थिति गंभीर जरूर है, जिसके सुरक्षित और प्रभावी उपचार मौजूद हैं। यह उपचार हृदय विफलता के लक्षणों से राहत दिला सकते हैं, और आपको अधिक समय तक जीने में मदद कर सकते हैं। इन उपचारों की समुचित जानकारी और स्वास्थ्य के प्रति सजगता से रोगी के हृदय की विफलता की स्थिति में सामान्य जीवन में लौटने में मदद मिल सकती है।
इस संबंध में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. डॉ। पवन गोयल हरिता कुमारी लंडा कहते हैं कि शिक्षा, रोगी की हृदय विफलता की प्रकृति, कारणों और प्रभावों को समझने में मदद करती है। इस संबंध में चलाए जाने वाले हृदय रोग प्रबंधन कार्यक्रम से जहां रोगी प्रशिक्षित होता है, वहीं ऐसे जागरूकता कार्यक्रम हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति के ज्ञान, स्वयं देखभाल, और आत्म प्रबंधन को बढ़ाने में प्रभावी साबित हुए हैं।
डॉ. के अनुसार, स्वयं स्वास्थ्य देखभाल के लिये सकारात्मक दृष्टिकोण का होना बहुत जरूरी है। अपने दिल को अच्छी तरह समझने, उसे स्वस्थ रखने के लिये किये जा रहे रहे प्रयास जैसे कारक हृदय रोगियों की स्थिति में सुधार लाने में सहायक सिद्ध होते हैं।
इसके अलावा हृदय रोगियों को कुछ खास बातों को भी ध्यान में रखना चाहिये, जैसे- वह अपना स्वास्थ्य बेहतर रखने के लिये रोजाना सैर करने, किसी काम में मन लगाने, मन और दिल को हल्का रखने के लिये किसी भी कला से जुड़ने और मन की शांति के लिये डॉक्टर के निर्देश पर योग आदि को अपने जीवन का हिस्सा बना सकते हैं।

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