दिल्ली: इंडिया गेट पर प्रदर्शन में धारा 197 लागू — विदेशों में भी चर्चा का विषय बना मामला
दिल्ली पुलिस ने इंडिया गेट पर हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शन पर भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) की धारा 197 लगा दी है। यह वही धारा है जिसमें “लोक सेवक के वैध कार्य में बाधा डालने” पर कार्रवाई का प्रावधान है और दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की सज़ा, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
इंडिया गेट पर विभिन्न समूहों ने केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन के दौरान अव्यवस्था फैलाने और सुरक्षा व्यवस्थाओं में बाधा पहुँचाने की कोशिश की गई, जिसके चलते कार्रवाई की गई।

- BNS हाल ही में लागू हुआ है, इसलिए इसकी धाराओं के पहले बड़े उपयोगों पर विशेष नजर रहती है।
- धारा 197 दंगे या तोड़फोड़ पर नहीं, बल्कि “लोक सेवक के कार्य में बाधा” पर फोकस करती है।
- कई कानूनी विशेषज्ञों और मानवाधिकार समूहों ने यह सवाल उठाया है कि क्या इस स्थिति में यह धारा लगाना आवश्यक था या इसका दुरुपयोग हुआ।
- इस कदम ने न सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का भी ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि यह नए भारतीय न्यायिक ढांचे (BNS) के शुरुआती प्रमुख मामलों में से एक है।

पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों को कई बार चेतावनी दी गई, लेकिन उन्होंने निर्धारित क्षेत्र के बाहर आकर सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित किया। ऐसे में कानूनी कार्रवाई आवश्यक थी।
कुछ वैश्विक संगठनों एवं विदेशी मीडिया आउटलेट्स ने नए BNS के प्रावधानों और उनके उपयोग पर सवाल उठाते हुए इस घटना को “नए कानून की पहली बड़ी क़ानूनी परीक्षा” बताया है।
मामले की जांच जारी है और अदालत तय करेगी कि धारा 197 के तहत दर्ज प्रकरण में आगे क्या कार्रवाई होगी।

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