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जानिए जन्माष्टमी का महत्व: क्यों है श्री कृष्ण का जन्म इतना खास

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं में इस पर्व का विशेष महत्व है।

गीता में चौथे अध्याय के एक श्लोक में भगवान कृष्ण ने कहा है :
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥

इसका तात्पर्य है, हे पार्थ, जब-जब धर्म की हानि होने लगती है और अधर्म बढ़ने लगता है, तब-तब मैं स्वयं की रचना करता हूं, अर्थात् जन्म लेता हूं. मानव की रक्षा, दुष्टों के विनाश और धर्म की पुनःस्थापना के लिए मैं अलग-अलग युगों (कालों) में अवतरित होता हूं।

 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं में इस पर्व का विशेष महत्व है। श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं। देश के सभी राज्यों में अलग-अलग तरीके से इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार दिनभर व्रत रखते हैं,और भगवान कृष्ण की आराधना करते हैं। दिनभर घरों, मंदिरों में भगवान कृष्ण के के भजन कीर्तन किए जाते हैं, और मंदिरों में झांकियां और प्रस्तुति भी की जाती हैं।

 

भगवान श्री कृष्ण वासुदेव और देवकी के आठवें पुत्र थे। कृष्ण विष्णु के आठवें अवतार हैं। भागवत ग्रंथ में भगवान श्रीकृष्ण की अनेक लीलाओं का वर्णन है। गोविंद, देवकीनंदन, वासुदेव, मोहन, माखनचोर, लड्डूगोपाल जैसे अनेकों नाम से जाना जाता है।

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने द्वापर युग में 16 कलाओं में पूर्ण श्री कृष्ण के रूप में कारागार में मां देवकी के कोख से जन्म लिया। देवकी मथुरा नगरी के राजा कंस की बहन थी। कंस बहुत ही अत्याचारी था। देवकी के विवाह के समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र ही उसका वध करेगा। तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वह कृष्ण को गोकुल में माँ यशोदा और नंद बाबा के घर छोड़ आए ताकि वह अपने मामा से सुरक्षित रह सके। श्री कृष्ण का पालन पोषण माँ यशोदा और नंद बाबा की देखरेख में ही हुआ। बस उनके जन्म की खुशी में तभी से हर वर्ष जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है।

 

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