अदानी समूह को कुछ ही दिनों में 100 अरब डॉलर का नुक़सान, आरबीआई ने बैंकों से मांगी क़र्ज़ की जानकारी – प्रेस रिव्यू
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अंग्रेज़ी अख़बार द इकॉनमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ बाज़ार में लगातार गिरते आदानी समूह के शेयर की क़ीमतों के बीच नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने गुरुवार को अदानी ग्रुप की तीन कंपनियों को एडिशनल सर्विलांस मेज़र फ़्रेमवर्क यानी एएसएम की सूची में डालने का फ़ैसला किया है.
समूह की इन तीन कंपनियों में अदानी एंटरप्राइज़ेज़, अदानी पोर्ट और अंबुजा सीमेंट का नाम शामिल किया गया है. ये फ़ैसला 3 फ़रवरी यानी शुक्रवार से लागू होगा.
एएसएम लिस्ट एक ऐसी सूची होती है जिसमें उन कंपनियों को स्क्रूटनी के लिए रखा जाता है जिसके शेयर काफ़ी अस्थिर होते हैं.
कंपनियों को एएसएम फ़्रेमवर्क की लिस्ट में डालना निवेशकों के लिए एक चेतावनी की तरह होता है, ये उन कंपनियों के शेयर की क़ीमतों में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव को लेकर एक तरह से निवेशकों को आगाह करता है.
किसी भी संभावित नुक़सान से बाज़ार को बचाने के लिए इन शेयरों पर ट्रेडिंग से जुड़े कुछ नियम तय किए जाते हैं. ट्रेडिंग के लिए भी 100 फ़ीसदी अपफ़्रंट मार्जिन की ज़रूरत होगी. इससे शॉर्ट सेलिंग पर कुछ अंकुश लगेगा.
इस क़दम के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि अदानी ग्रुप के शेयरों में हो रहे ख़बरों के प्रभाव को कम किया जा सके. अब इन शेयरों पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज अपनी निगरानी भी बढ़ा देगा.
फ़्रेमवर्क को लेकर एनएसई ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर जानकारी दी है कि कंपनियों को प्राइस, वॉल्यूम वेरिएशन, शेयर के उतार-चढ़ाव पर निगरानी बनाए रखने के लिए एडिशनल सर्विलांस मेज़र्स में डाला गया है.
इसके साथ ही स्टॉक एक्सचेंज ने यह भी कहा कि एएसएम में कंपनियों को डालने का काम निगरानी के लिहाज़ से किया गया है, और इसे संबंधित कंपनी, एंटिटी के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं माना जाना चाहिए.
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आरबीआई ने बैंकों से मांगी अदानी ग्रुप को दिए गए क़र्ज़ की जानकारी
अंग्रेज़ी अख़बार बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने व्यवसायिक बैंकों को संभावित जोख़िम से बचाने के लिए अदानी ग्रुप को दिए गए क़र्ज़ की जानकारी मांगी है.
अमेरिकी शॉर्ट-सेलर रिसर्च फ़र्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से अदानी ग्रुप के लगातार गिरते शेयर को देखते हुए केंद्रीय बैंक ने ये क़दम उठाया है.
अख़बार लिखता है कि बैंकरों के मुताबिक़, गुरुवार को आरबीआई ने बैंकों से कहा कि 31 जनवरी तक अदानी समूह को कितना क़र्ज़ दिया गया है, इसकी विस्तृत जानकारी नियामक बैंक को दें.
एक बड़े बैंक के अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, “हमने बुधवार को ये जानकारी आरबीआई को सौंप दी है.”
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने अकेले अदानी समूह को 21,000 करोड़ का क़र्ज़ दिया है. इसमें से 20 करोड़ का क़र्ज़ बैंक की ओवरसीज़ ब्रांच से दिया गया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ एक अन्य सरकारी बैंक, पंजाब नेशनल बैंक ने अदानी समूह को 7000 करोड़ का क़र्ज़ दिया है.
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एक हफ़्ते में 100 बिलियन डॉलर का नुक़सान
कोलकाता से छपने वाले अख़बार द टेलीग्राफ़ अपनी फ्रंट पेज की ख़बर में लिखता है कि एफ़पीओ वापस लेने के बाद गुरुवार को भी अदानी समूह के शेयर संभलने का नाम नहीं ले रहे.
बीते सप्ताह जब से अदानी समूह को लेकर विवादित रिपोर्ट सामने आई है तब से अब तक अदानी को 100 बिलियन डॉलर का नुक़सान हुआ है.
अदानी एंटरप्राइज़ेज़ बीएसई पर 26.5 प्रतिशत गिरकर 1,564.70 रुपये पर आ गया है. जिसका मतलब है कि शेयर की क़ीमत एफ़पीओ फ़्लोर प्राइस 3,112 रुपये से भी आधी हो गई है.
समूह की बाकी कंपनियों के शेयर भी तेज़ी से गिरते जा रहे हैं. अदानी ट्रांसमिशन, अदानी टोटल गैस और अदानी ग्रीन एनर्जी तीनों के शेयर 10 फ़ीसदी नीचे गिरे हैं. अदानी पोर्ट को 6.13% का नुक़सान हुआ है. अदानी विल्मर, एनडीटीवी,अदानी पावर के शेयर 5 फ़ीसदी लुढके हैं.
अमेरिका की रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें दावा किया गया कि अदानी समूह के शेयर ओवरवैल्यूड हैं, साथ ही अनियमितताओं के कई आरोप समूह पर लगाए गए, जिसके बाद से ही अदानी समूह को लगातार बाज़ार में बड़ा नुक़सान हो रहा है.
मंगलवार को देर रात अदानी समूह ने अपने 20,000 करोड़ के पूरे सब्सक्राइब्ड एफ़पीओ भी इसी कारण वापस ले लिये.
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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना
बांग्लादेश और अदानी पावर के विवाद में विदेश मंत्रालय का बयान
द हिंदू अख़बार में छपी रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्रालय ने भारत के पड़ोसी देश से पावर डील में आई दिक़्क़तों के बीच कहा है कि इससे भारत की ‘नेबर फ़र्स्ट’ की नीति पर कोई आंच नहीं आएगी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची का ये बयान तब आया है जब बांग्लादेश ने अदानी पावर से साथ हुई 2017 की एक पावर डील को दोबारा रिवाइज़ करने के लिए कहा है.
अदानी पावर झारखंड के गोड्डा में एक पावर प्लांट लगा रही है और इस पावर प्लांट में बनने वाली बिजली बांग्लादेश को बेची जाएगी. बांग्लादेश का कहना है कि कोयले की क़ीमत पर अदानी समूह फिर से विचार करे.
इस विवाद पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में अरिंदम बागची ने कहा, “हमें लगता है कि अधिक आर्थिक इंटीग्रेशन, हमारे पड़ोसियों के साथ बेहतर संपर्क, हमारे विकास की प्रक्रिया में सहायता करता है.
हम भारत के आर्थिक विकास से लाभान्वित होने वाले हमारे पड़ोसियों के बारे में बात करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे. हमने कनेक्टिविटी पावर, ट्रांसमिशन और भौतिक रूप से भी इस काम को आसान बनाने की कोशिश की है.
ये ‘नेबर फ़र्स्ट’ की हमारी व्यापक रणनीति का हिस्सा है. लेकिन अगर कोई प्रोजेक्ट वित्तीय कारणों से आगे नहीं बढ़ पा रहा है, तो मुझे नहीं लगता कि यह हमारे पड़ोसी देशों से रिश्ते का किसी भी तरह रिफ़्लेक्शन है.”
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जजों की नियुक्ति में सर्च पैनल का काम कॉलेजियम के ‘सहायक’का होगा- सरकार
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि केंद्र सरकार ने संसद में बताया है कि प्रस्तावित ‘सर्च एंड सेलेक्ट कमेटी’ का काम कॉलेजियम के ‘सहायक’ के रूप काम करने का होगा और जजों की अंतिम नियुक्ति का फ़ैसला कॉलेजियम के पास ही रहेगा.
6 जनवरी को, केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रीजीजू ने चीफ़ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सरकार के प्रतिनिधियों के साथ ‘एक सर्च एंड सेलेक्ट कमेटी’ को शामिल करने का सुझाव दिया था.
क़ानून मंत्रालय ने राज्यसभा में दिए गए लिखित बयान में कहा, “कई अन्य सुझावों के अलावा, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कॉलेजियम की सहायता के लिए दोनों कोर्ट में एक स्क्रीनिंग-इवैल्युएशन कमेटी का भी सुझाव दिया था. ये कमेटी कॉलेजियम के लिए एक फ़ैसीलिटेटर यानी सहायक के तौर पर मदद करेगी.”
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