Social

इंसानियत की मिसाल बनी बांग्लादेशी जहाज़ की टीम

दक्षिण 24 परगना, पश्चिम बंगाल
एक आम मछुआरा, असाधारण हिम्मत, और फिर एक ऐसा मंजर जो इंसानियत पर फिर से भरोसा दिलाता है। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना ज़िले का रहने वाला रवीन्द्रनाथ, आज एक मिसाल बन गया है — उसने पांच दिन तक अकेले समंदर में ज़िंदगी से जंग लड़ी… और जीत भी गया।

तूफान और तबाही की शुरुआत

छह साल पहले, रवीन्द्रनाथ अपने 15 साथियों के साथ बंगाल की खाड़ी में हल्दिया के पास मछली पकड़ने गया था। लेकिन तभी अचानक समुद्र का रुख बदल गया, तेज़ आंधी आई, लहरें बेकाबू हो गईं और कुछ ही पलों में ट्रॉलर पलट गया।हर कोई समंदर की ऊंची लहरों में बह गया… रवीन्द्रनाथ भी

हार नहीं मानी, उम्मीद नहीं छोड़ी

लेकिन रवीन्द्रनाथ ने हार नहीं मानी। पेशे से मछुआरा होने के कारण, समंदर उसका दुश्मन नहीं, साथी था। उसने खुद को ज़िंदा रखने की ठान ली। न खाना, न पीने का पानी, बस तैरते रहना — ऊपर सिर्फ़ आसमान, नीचे अथाह पानी।

5 दिन तक, रवीन्द्रनाथ समंदर में अकेले तैरता रहा। जब बारिश होती, तो वो वर्षा जल पीकर खुद को जीवित रखता। हर पल मौत करीब थी, लेकिन उसका हौसला और ज़िद और भी बड़ी थी।

बांग्लादेश की तरफ उम्मीद की किरण

पांचवें दिन, लगभग 600 किलोमीटर दूर, बांग्लादेश के कुतुबदिया द्वीप के पास एक जहाज़ ‘एमवी जवाद’ गुजर रहा था। जहाज़ के कप्तान की नज़र समंदर में हलचल पर पड़ी — कोई इंसान पानी में तैर रहा था!

कप्तान ने फ़ौरन लाइफ जैकेट फेंकी, लेकिन वो रवीन्द्रनाथ तक नहीं पहुंची। फिर भी कप्तान रुके नहीं… उन्होंने जहाज़ को वापस मोड़ा, और एक बार फिर कोशिश की

इस बार रवीन्द्रनाथ ने लाइफ जैकेट पकड़ ली

क्रेन से उसे जहाज़ पर ऊपर खींचा गया — वो थका हुआ था, अधमरा था, लेकिन ज़िंदा था। जैसे ही वो जहाज़ पर चढ़ा, पूरे जहाज़ के नाविक खुशी से चिल्ला उठे। ये सिर्फ़ एक जान की जीत नहीं थी — इंसानियत की जीत थी।

वो पल जो दिलों को छू गया

इस भावुक पल का वीडियो जहाज़ के एक नाविक ने रिकॉर्ड किया, और वो दृश्य आज भी लाखों लोगों को भावुक कर देता है। एक आदमी की ज़िद और दूसरे की दया ने पूरी दुनिया को यह याद दिलाया —
“इंसानियत अब भी ज़िंदा है।”
शुक्रिया, एमवी जवाद के कप्तान और हर नाविक को।
आपने सिर्फ़ एक ज़िंदगी नहीं बचाई —
हमें इंसानियत की अहमियत याद दिलाई।

Related Articles

Back to top button