मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति: ज्ञानेश कुमार का नाम प्रबल
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भारत के वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार 18 फरवरी 2024 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार, ज्ञानेश कुमार का नाम इस पद के लिए सबसे आगे चल रहा है।
ज्ञानेश कुमार: एक अनुभवी प्रशासनिक अधिकारी
- ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं और उन्होंने केरल कैडर में सेवाएं दी हैं।
- उन्होंने अपने प्रशासनिक करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जिससे उन्हें सरकार और चुनाव प्रक्रिया की गहरी समझ है।
- वर्तमान में, वह भारत के चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं।
- उनके साथ सुखबीर सिंह सिद्धू भी 1988 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं, लेकिन सीनियरिटी के आधार पर ज्ञानेश कुमार को प्राथमिकता मिल सकती है।
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति द्वारा की जाती है।
- यह चयन समिति केंद्रीय कानून मंत्री और केंद्रीय सचिव द्वारा प्रस्तावित पांच नामों में से किसी एक को चुन सकती है।
- साथ ही, समिति को यह अधिकार भी है कि वह प्रस्तावित नामों से अलग किसी अन्य व्यक्ति को भी मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त कर सकती है।
- इस प्रक्रिया का उद्देश्य निष्पक्ष और प्रभावी चुनाव आयोग सुनिश्चित करना है।
क्यों ज्ञानेश कुमार को चुने जाने की संभावना अधिक है?
- अनुभव और वरिष्ठता – प्रशासनिक सेवा में उनका लंबा अनुभव और वरिष्ठता उन्हें इस पद के लिए सबसे उपयुक्त बनाता है।
- चुनाव आयोग में कार्य अनुभव – वह पहले से ही चुनाव आयोग में कार्यरत हैं, जिससे उन्हें चुनावी प्रक्रिया की गहरी समझ है।
- प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त – सुखबीर सिंह सिद्धू भी 1988 बैच के हैं, लेकिन सीनियरिटी लिस्ट में ज्ञानेश कुमार उनसे ऊपर हैं, इसलिए उनकी नियुक्ति की संभावना अधिक है।
परिवारिक पृष्ठभूमि
- ज्ञानेश कुमार की बेटी और दामाद दोनों उत्तर प्रदेश में जिलाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।
- यह उनके प्रशासनिक कौशल और पारिवारिक पृष्ठभूमि को दर्शाता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनका प्रशासनिक योगदान महत्वपूर्ण रहा है।
निष्कर्ष
राजीव कुमार की सेवानिवृत्ति के बाद चुनाव आयोग के नए मुखिया के रूप में ज्ञानेश कुमार का नाम सबसे आगे है। हालांकि अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा लिया जाएगा। अगर उन्हें नियुक्त किया जाता है, तो उनके अनुभव और प्रशासनिक कौशल से देश की चुनावी प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी और प्रभावी हो सकती है।
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