
करवा चौथ त्योहार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी (करक चतुर्थी) को मनाया जाता है। इस पर्व पर विवाहित स्त्रियाँ पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य एवं अपने सौभाग्य हेतु निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं और उदय उपरांत चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर भोजन करती हैं। करवा चौथ का व्रत को अविवाहित लड़कियां जल्द विवाह के लिए करती हैं। वहीं, सुहागिन महिलाओं के द्वारा अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सुहागिन महिलाओं के द्वारा विधिपूर्वक व्रत और पूजा-अर्चना करने से पति को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत की शुरुआत सरगी में शामिल विभिन्न चीजों के सेवन से होती है। सरगी सास अपनी बहु को देती है। इसके बाद महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और रात को उपासना एवं चंद्र दर्शन करने के बाद व्रत का पारण करती हैं। ऐसी मान्यता है कि पूजा थाली में प्रिय भोग को शामिल करने से पति और पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है। साथ ही वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
अन्य खबरों के लिए हमसे फेसबुक पर जुड़ें। आप हमें ट्विटर पर फ़ॉलो कर सकते हैं. हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब कर सकते हैं।
किसी भी प्रकार के कवरेज के लिए संपर्क AdeventMedia: 9336666601