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8 रुपये लीटर का नुकसान उठा रहीं तेल कंपनियां,जानिए क्‍या है रेटिंग एजेंसी का अनुमान

Petrol-Diesel के रेट फिर चढ़ सकते हैं। क्‍योंकि तेल कंपनियों को इसकी कीमत न बढ़ा पाने से काफी नुकसान हो रहा है। यह आशंका घरेलू रेटिंग एजेंसी ICRA ने जताई है। उसका कहना है कि बीते साल दिसंबर में राज्यों के चुनावों की घोषणा के बाद से वैश्विक स्तर पर जो नई-नई चुनौती पैदा हो रही है, उसका सीधा असर क्रूड ऑयल पर पड़ रहा है। इसके उल्‍ट तेल कंपनियां दाम बढ़ा नहीं पा रहीं। एजेंसी के मुताबिक पेट्रोल और डीजल की कीमतें 8 रुपये प्रति लीटर तक कम हैं।

हालांकि MS (मोटर स्पिरिट) और HSD (हाई स्पीड डीजल) के RSP (खुदरा बिक्री मूल्य) कितना कम है, इसका सही अनुमान लगा पाना मुश्किल है। हम उम्मीद करते हैं यह 6-8 रुपये / लीटर की सीमा में होना चाहिए। मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने रिपोर्ट में कहा कि बीते साल सरकार ने एक्‍साइज ड्यूटी में कमी की थी। इससे पेट्रोल-डीजल के रेट 100 रुपये से नीचे आ गए। लेकिन अब रूस-यूक्रेन तनाव बढ़ने से कच्‍चा तेल 100 डॉलर पर चला गया है। इससे आने वाले दिनों में भारत में तेल के दाम पर असर पड़ेगा।

एजेंसी ने कहा कि 1 अप्रैल को नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले उत्पाद शुल्क में कटौती से सरकारी खजाने को 92,000 करोड़ रुपये तक की चपत आएगी। ईंधन की कीमतें राजनीतिक रूप से संवेदनशील विषय है और उत्तर प्रदेश सहित 5 राज्यों के लिए राज्य चुनावों की घोषणा के बाद से कोई समीक्षा नहीं की गई है, जिसमें सत्ताधारी बीजेपी वापस आने के लिए लड़ रही है। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें 80 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से अधिक होने के बाद 7 साल के उच्च स्तर 107 डॉलर प्रति बैरल को छू गईं।

भारतीय बास्केट के संदर्भ में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत 4 सितंबर, 2014 के बाद पहली बार 24 फरवरी को 100 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के निशान को पार कर गईं, जो रूस (दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उत्पादक) और यूक्रेन के बीच तनाव के कारण है। इसमें कहा गया है कि भारत के लिए तेल की कीमत फरवरी 2022 में अब तक औसतन 93.1 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल रही है, जो जनवरी 2022 में 84.2 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले 10.5 फीसदी अधिक है।

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