चमोली आपदा का 19वां दिन: लापता लोगों की तलाश जारी, 180 मीटर तक खोदी सुरंग…
तपोवन सुरंग और बैराज साइट से मलबा हटाने और लोगों की तलाश का अभियान आपदा के 19वें दिन भी जारी है। हालांकि बुधवार को यहां कोई शव नहीं मिला है। मंगलवार को भी शव बरामद नहीं हुए थे।
अभी तक कुल 70 शव एवं 30 मानव अंग अलग-अलग स्थानों से बरामद किए गए हैं। जिसमें से 40 शवों एवं 01 मानव अंग की शिनाख्त की जा चुकी है। जिन शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है उन सभी शवों के डीएनए संरक्षित किए गए हैं।
जोशीमठ थाने पर अब तक कुल 205 लोगों की गुमशुदगी दर्ज की जा चुकी है। कुल 110 परिजनों, 58 शवों एवं 28 मानव अंगों के डीएनए सैम्पल मिलान के लिए देहरादून भेजे गए हैं।
अब तक सुरंग में हुई 180 मीटर तक की खोदाई
चमोली में तपोवन सुरंग में बुधवार रात 11:10 बजे से 2:30 बजे तक खोदाई का काम चला। सुरंग से पानी निकाला जा रहा है और 180 मीटर तक की खोदाई अब तक हो चुकी है।
वहीं आईटीबीपी और एसडीआरएफ के जवान मिलकर चमोली में बाढ़ के बाद बनी झील से पेड़ों और बोल्डर को हटा रहे हैं। पानी की निकासी सुचारू रूप से हो रही है।
38 मृतकों के परिजनों को दिया मुआवजा
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि अभी तक 38 मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिया जा चुका है। जिला प्रशासन के अनुसार ऋषिगंगा की आपदा में लापता लोगों की तलाश जारी है। अभी तक 70 शव और 29 मानव अंग बरामद हुए हैं। जिसमें अभी भी 134 लोग लापता हैं।
टिहरी में बने जल शोध संस्थान
टिहरी के पूर्व विधायक एवं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मांग की है कि उत्तराखंड में हिमनद व जल शोध संस्थान की स्थापना टिहरी में की जाए। हाइड्रो के क्षेत्र में टिहरी जलाशय से बड़ी कोई दूसरी प्रयोगशाला प्रदेश में नहीं है।
उपाध्याय ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी भेजी है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री ने हाल ही में दिल्ली यात्रा की है। जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री से वर्तमान रैणी-तपोवन आपदा के आलोक में उत्तराखंड में हिमनद व जल शोध संस्थान की स्थापना हेतु आग्रह किया है। यह एक स्वागत योग्य कदम है।
उन्होंने कहा कि टिहरी बांध में बिजली उत्पादन संयन्त्र का जब उद्घाटन होना था तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी को आना था तब भी उन्होंने इस संस्थान का प्रस्ताव रखा था। तब केंद्रीय जल आयोग का एक दल टिहरी और उत्तरकाशी आया था। हालांकि बाद में इस संस्थान की स्थापना नहीं हो पाई थी। कहा कि भागीरथीपुरम में इस संस्थान की स्थापना की जाए।
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