हरियाणा में लागू हुआ कठोर धर्मांतरण रोधी कानून, सख्त किए गए प्राविधान, जानें क्या है यह ..
हरियाणा सरकार ने बल, अनुचित प्रभाव या लालच के दम पर धर्म परिवर्तन के खिलाफ अपने कानून को लागू करने के लिए नियमों को अधिसूचित कर दिया है। धर्मांतरण रोधी कानून के प्राविधानों के तहत जिलाधिकारियों को एक सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करना होगा। धर्मांतरण करने वाले को भी आपत्तियां आमंत्रित करनी होंगी। राज्य विधानसभा ने इस साल मार्च में हरियाणा में अवैध धर्म परिवर्तन रोकथाम विधेयक पारित किया था। धर्मांतरण विरोधी कानून को अब राज्यपाल की मंजूरी के एक महीने बाद अधिसूचित कर दिया गया है।
धर्मांतरण रोधी कानून के प्राविधानों के अनुसार, यदि धर्मांतरण प्रलोभन, बल प्रयोग, जबरदस्ती या धोखाधड़ी के माध्यम से किया जाता है, तो एक से पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये से कम के जुर्माने का प्राविधान है। दिलचस्प यह कि इस प्रलोभन डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल भी शामिल है। कानून कहता है कि शादी करने के इरादे से अपने धर्म को छिपाने वाले को कम से कम तीन से 10 साल की कैद की सजा दी जाएगी। यही नहीं दोषी को कम से कम तीन लाख रुपये का जुर्माना भी भरना होगा।
कानून में गलत सूचना देकर सामूहिक धर्मांतरण कराने वाले व्यक्ति को कम से कम पांच साल की सजा का प्राविधान है। गंभीर अपराध में इस सजा को बढ़ाकर दस साल भी किया जा सकता है। कानून के अनुसार दोषी शख्स को कम से कम चार लाख रुपये का जुर्माना भी भरना होगा। राज्य मंत्रिमंडल ने हाल ही में मंजूरी देने के बाद हरियाणा धर्म परिवर्तन की रोकथाम नियम, 2022 को अधिनियम के तहत 15 दिसंबर को लागू करने के लिए अधिसूचित किया था। हिमाचल और उत्तर प्रदेश समेत भाजपा शासित राज्यों में इसी तरह के विधेयक पारित किए गए हैं।
कानून के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो दूसरा धर्म अपनाना चाहता है, उसे इस तरह के परिवर्तन से पहले, उसे अपने जिला मजिस्ट्रेट को फॉर्म में घोषणा पत्र देना होगा, जहां वह स्थायी रूप से रह रहा है। यदि धर्मांतरण का इरादा रखने वाला व्यक्ति नाबालिग है, तो माता-पिता या दोनों में से जो भी जीवित हो, उनका घोषणा-पत्र दाखिल करना होगा। कोई भी धार्मिक पुजारी या अन्य व्यक्ति जो अधिनियम के तहत धर्मांतरण का आयोजन करना चाहता है, उसे उस जिले के जिला मजिस्ट्रेट को फॉर्म सी में पूर्व सूचना देनी होगी, जहां इस तरह के धर्मांतरण का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है। इसके बाद जिलाधिकारियों को एक सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करना होगा और आपत्तियां आमंत्रित करनी होंगी।
इस तरह के नोटिस जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में ऐसे व्यक्ति द्वारा घोषणा-पत्र दिए जाने के बाद लगाए जाएंगे जो सोच-समझ कर बिना किसी गलत बयानी, बल के उपयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी धोखाधड़ी के माध्यम से या शादी से या शादी के उद्देश्य से” दूसरे धर्म में परिवर्तित होने का इरादा रखते हैं। जिला मजिस्ट्रेट के सामने घोषणा-पत्र देते समय, ऐसे व्यक्तियों को धर्मांतरण के कारण, कितने समय से वे उस धर्म का पालन कर रहे हैं जिसे वह छोड़ने का फैसला कर रहे हैं, क्या वे अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के हैं, व्यवसाय और मासिक आय जैसे विवरण निर्दिष्ट करने होंगे।
नियमों में कहा गया है कि जिला मजिस्ट्रेट इस तरह के धर्मांतरण के लिए लिखित आपत्तियों के मिलने पर अधिकारी या एजेंसी द्वारा मामले की पड़ताल कराएंगे। सत्यापन के बाद, यदि मजिस्ट्रेट को पता चलता है कि बल या प्रलोभन का उपयोग किया गया है या ऐसी आशंका है तो वह जांच के दौरान मिले सबूतों के साथ केस दर्ज करने और इसकी जांच के लिए संबंधित पुलिस थाने को संदर्भित कर सकता है।
नियमों के मुताबिक, जिला मजिस्ट्रेट यदि संतुष्ट हैं कि धर्मांतरण मर्जी से किया गया है और बिना किसी बल प्रयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या शादी के लिए किया गया है, तो इस आशय का एक प्रमाण पत्र जारी करेंगे। जिलाधिकारी के आदेश पारित करने के बाद यदि किसी को आपत्ति है तो वह 30 दिन के भीतर मंडलायुक्त से अपील कर सकता है। धर्मांतरण रोधी कानून के तहत, धर्मांतरण अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, विवाह या किसी अन्य धोखाधड़ी के माध्यम से नहीं किया गया था, इसका सबूत उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी आरोपी पर ही होगी।
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