सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मैनपुरी के करहल से दाखिल किया अपना नामांकन पत्र
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उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त करने वाले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा चुनाव का चुनाव लड़ेंगे। उत्तर प्रदेश में 18वीं विधानसभा के गठन के लिए दस फरवरी से होने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव मैनपुरी के करहल में आज अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। यह समाजवादी पार्टी की परंपरागत सीट मानी जाती है और सैफई के बेहद नजदीक है।
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अखिलेश यादव इटावा के सैफई से विजय रथ पर सवार होकर दिन में करीब एक बजे मैनपुरी कलेकट्रेट पहुंचे। उनके साथ करहल में उनके चुनाव प्रबंधन की कमान संभाल रहे पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव उर्फ तेजू, समाजवादी पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव राज्यसभा सदस्य प्रोफेसर राम गोपाल यादव और करहल से समाजवादी पार्टी के विधायक सोबरन सिंह यादव भी थे। पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव राज्यसभा सदस्य प्रोफेसर रामगोपाल यादव भी सुबह से ही मैनपुरी में थे। इससे पहले अखिलेश यादव ने सोमवार को सुबह एक ट्वीट भी किया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के पहली बार करहल से विधानसभा का चुनाव लडऩे के निर्णय के बाद से ही मैनपुरी में सियासी माहौल बेहद गरम हो गया। मैनपुरी से पूर्व सांसद तेज प्रताप उनके चुनाव का संचालन कर रहे हैं, जबकि मैनपुरी से सांसद समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव की निगाह भी यहां लगी है।
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अखिलेश यादव सैफई से करहल होते हुए कार से दोपहर एक बजे के करीब कलक्ट्रेट पहुंचे। अखिलेश यादव के साथ ही मैनपुरी की दो अन्य सीटों से भी सपा प्रत्याशी सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। भोगांव सीट से आलोक शाक्य जहां नामांकन पत्र दाखिल करेंगे तो वहीं किशनी से बृजेश कठेरिया नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। मैनपुरी सदर सीट से सपा प्रत्याशी राजकुमार यादव शुक्रवार को ही नामांकन दाखिल कर चुके हैं। मैनपुरी के करहल में तीसरे चरण में 20 फरवरी को मतदान होगा। इसके लिए नामांकन प्रक्रिया चल रही है।
सिर्फ एक बार भाजपा जीती
करहल विधानसभा सीट का इतिहास बताता है कि 1957 से अब तक यहां सिर्फ एक बार 2002 में भाजपा जीती है। 1980 में यह सीट एक बार कांग्रेस के खाते में भी गई है। 1957 के पहले चुनाव में यहां प्रजा सोशलिस्ट पार्टी जीती थी। उस समय दो सीटें हुआ करती थीं। 1985 से 2002 तक यहां बाबू राम यादव विधायक रहे। खास बात ये है कि वे 1985 से 1989 तक लोक दल से, 1989 से 1991 तक जनता दल से, 1991 से 1992 तक जनता दल (सेक्युलर) से और फिर 1993 से 2002 तक समाजवादी पार्टी से विधायक रहे।
अखिलेश यादव तीन बार सांसद रहने के साथ विधान परिषद के सदस्य भी रहे हैं। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश ने 2012 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में अपनी पार्टी का नेतृत्व किया। उनकी पार्टी को राज्य में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद, 15 मार्च 2012 को उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की।
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