राज्य उपभोक्ता आयोग ने सुनाया फैसला, जिला आयोग के फैसले काे ठहराया सही
एक उपभोक्ता का चारपहिया वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया तो आम लोगों ने उसमें आग लगा दी। बीमा कंपनी ने वाहन की क्लेम राशि देने से इंकार कर दिया। उपभोक्ता ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील लगा दी। मामले में आयोग के सदस्य मोनिका मलिक व सदस्य एके तिवारी की बेंच ने फैसला सुनाया है। राज्य उपभोक्ता आयोग ने जिला आयोग के फैसले को सही ठहराया। नरसिंहपुर निवासी उपभोक्ता तीरथ सिंह पटेल ने अपील लगाई गई थी कि उन्होंने एक चारपहिया वाहन खरीदा था। जिसका बीमा भी कराया था। इस वाहन को एमपीईबी अपने साथ अटैच करना चाहती थी, लेकिन उपभोक्ता ने नहीं किया। एक दिन एमपीईबी के कर्मचारी वाहन से जबलपुर जा रहे थे। तभी वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गई। स्थानीय लोगों ने वाहन में आग लगा दी। उपभोक्ता ने बीमा के लिए आवेदन किया तो कंपनी ने इंकार कर दिया कि वाहन का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा था। लेकिन आयोग ने उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया और निर्देश दिए कि दो माह के अंदर वाहन का 75 फीसद राशि छह प्रतिशत ब्याज के साथ मानिसक क्षतिपूर्ति राशि दो हजार रुपये देने का आदेश दिया। 2011 में जिला उपभोक्ता अायोग ने फैसला सुनाया। दरअसल, नरसिंहपुर निवासी तीरथ सिंह पटेल ने जिला उपभोक्ता आयोग में 2008 में ओरिएंटल इंश्योरेंस कंलि के खिलाफ याचिका लगाई थी। जिला आयोग ने उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया था।
यह था मामला
मामले में 12 अक्टूबर 2007 को चार पहिया वाहन से एमपीईबी के कर्मचारी चारपहिया वाहन से नरसिंहपुर से जबलपुर जा रहे थे। तभी रास्ते में एक मोटरसाइकिल से टकरा गया और एक्सीडेंट हो गया। मोटरसाइिकल सवार की मौके पर ही मौत हो गई। उधर चार पहिया वाहन पर सवार लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया। गांव वालों ने चार पहिया वाहन में आग लगा दी। उपभोक्ता ने क्लेम के लिए बीमा कंपनी में आवेदन किया तो कंपनी ने यह कहते हुए क्लेम खारिज कर दिया कि वाहन का उपयोग व्यावसायिक रूप से किया जा रहा था, जबकि उपभोक्ता ने एमपीईबी में वाहन को अटैच नहीं किया था।
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